जानें जब हनुमान जी के कोप से बचने के लिए शनि देव को बनना पड़ा स्त्री | मणिराम दास जी

गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में हनुमान जी का एक अति प्राचीन मंदिर स्थित है जो की कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है की इस मंदिर में हनुमान जी के पैरों में स्त्री रूप में शनि देव बैठे है। सभी जानते हैं कि हनुमानजी स्त्रियों के प्रति विशेष आदर और सम्मान का भाव रखते हैं। ऐसे में उनके चरणों में किसी स्त्री का होना आश्चर्य की बात है। लेकिन इसका सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है जिसमें बताया गया है की आखिर…

जानें कब-कब हनुमान जी बने राम जी के सहायक और क्यों कहा जाता है इन्हें संकट मोचक |

को नहि जानत। है, जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो। हनुमान जी के कई नाम हैं जिनमें बजरंगबली, महावीर, केसरी नंदन और संकट मोचन नाम काफी लोकप्रिय है। यह नाम हनुमान जी को उनके गुण और कर्मों के कारण प्राप्त हुए हैं। हनुमान जी के अंग बज्र के समान हैं इसलिए यह बजरंगबली कहलाते हैं। इनसे बड़ा कोई वीर नहीं है इसलिए यह महावीर कहलाते हैं। केसरी के पुत्र होने के कारण यह केसरी नंदन और भक्तों के हर संकट दूर करने वाले हैं, इसलिए संकट मोचन कहलाते हैं।…

हर शुभ काम में क्यों है नारियल फोड़ने की परंपरा | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

सनातन धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है। कोई भी व्यक्ति जब कोई नया काम शुरू करता है तो भगवान के सामने नारियल फोड़ता है। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। नारियल को संस्कृत में श्रीफल के नाम से जाना जाता है। विद्वानों के अनुसार यह फल बलि कर्म का प्रतीक है। बलि कर्म का अर्थ होता है उपहार या नैवेद्य की वस्तु। देवताओं को बलि देने का अर्थ है, उनके द्वारा…

सनातन परम्परा के 16 संस्कार | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान है। प्राचीन काल में हमारा प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था। उस समय संस्कारों की संख्या भी लगभग चालीस थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वत: विलुप्त हो गये। इस…

जानें चरणामृत का महत्व | अमित ओझा प्रयागराज

जब भी हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है. क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की. कि चरणामृत का क्या महत्व है?? शास्त्रों में बताया गया है कि- अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।। अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियोंका शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है। जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता” जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता, जैसे ही…

ब्रज के छलिया मनमोहन की कृपा | भागवत मधुकर मणिराम दास जी (मनी भईया)

आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व वृन्दावन में मदन मोहन जी मंदिर के निकट किसी कुटिया में अन्धे बाबा रहते थे !उनका नाम कोई नहीं जानता था, सब लोग उन्हें मदन टेर के अन्धेबाबा के नाम से पुकारते थे, क्योंकि वे मदन टेर पर ही अधिक रहते थे ! दिन भर राधा कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कर हुए आँसू बहाते ! संध्या समय गोविन्द देव जी के मन्दिर में जाकर रो-रो कर उनसे कुछ निवेदन करते हुए चले आते, लौटते समय 2-4 घरो से मधुकरी मांग लेते और खाकर…

हरि नाम की महिमा | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

एक संत जो एक शहर के बस स्टैंड के पास एक वृक्ष की छाया में बैठकर माला फेर रहा था। एक अंग्रेज बस से उतरा और बाबा के पास जाकर बोला ये आपके हाथ में क्या है? बाबा ने अंग्रेज के कंधे पर बन्दुक देखी और पूछा: ये क्या है? अंग्रेज ने कहा ये मेरा हथियार है। बाबा बोले ये मेरा हथियार है। अंग्रेज बोला ये आपको किसने दिया? बाबा बोले यह बन्दुक किसने दी आपको? अंग्रेज बोला मेरी सरकार ने दी है। बाबा ने कहा यह माला मेरी युगल…

“पितृ पक्ष” में कौवों को भोजन कराने से होते हैं ये लाभ | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व होता है, इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर से 17 सितंबर तक चलेगा, पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, इसके साथ ही इस दिन कौवों को भी भोजन कराया जाता है, इस दिन कौवों को भोजन कराना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पितृपक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है, यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे पित्तरों का श्राप लगता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद…

“पितृ दोष” क्या होता है, जानें उसके लक्षण, कारण एवं निवारण | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति। पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है। आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है…

जानें घोर और अघोर साधना क्या है | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

तांत्रिक , कापालिक , अघोरी ये शब्द सुनते ही एक भयावह व्यक्ति ओर दृश्य की लोग कल्पना करते है । क्योंकि कुछ अज्ञानी लोगोने प्रचंड शक्ति प्राप्ति की इस दिव्य उपासना का स्वरूप समजे बिना अपने अज्ञान का प्रदर्शन करते हुवे तंत्र अघोर मार्ग का ऐसा चित्रण किया । जब कि तंत्र और अघोर उपासना करनेवाला साधक तो पवीत्र ओर सौम्य होता है । ये वैदिक या पुराणोक्त उपासना से अलग है और प्रचंड ऊर्जा प्राप्ति की अलौकिक उपासना है इसलिए आम इंसान को ये समझ नही आता । पर…