शनि देव जी को न्याय और कर्मों का देवता माना जाता है। 9 ग्रहों के समूह में इन्हें सबसे क्रूर माना गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया की संतान शनि देव जी अगर किसी पर मेहरबान हो तो वो इसे धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। यमराज इनके छोटे भ्राता हैं। ज्योतिष के अनुसार,शनि महाराज एक ही राशि में करीब 30 दिन तक रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। भगवान शिव ने शनि देव को नवग्रहों में न्यायधीश…
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श्राद्ध कर्म का वैज्ञानिक आधार | डॉ0 विजय शंकर मिश्र
वैदिक परंपरानुसार पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक होता है, जब वह अपने माता-पिता की सेवा करे व उनके मरणोपरांत उनकी मृत्यु तिथि व महालय (पितृपक्ष) में विधिवत श्राद्ध करे। प्रत्येक मानव पर जन्म से ही तीन ऋण होते हैं – देव, ऋषि व पितृ। श्राद्ध की मूल संकल्पना वैदिक दर्शन के कर्मवाद व पुनर्जन्मवाद पर आधारित है। मनु व याज्ञवल्क्य ऋषियों ने धर्मशास्त्र में नित्य व नैमित्तिक श्राद्धों की अनिवार्यता को रेखांकित करते हुए कहा कि श्राद्ध करने से कर्ता पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है तथा पितर संतुष्ट…
जानें शिव प्रतिमा के सामने ही क्यों विराजित होते हैं नंदी | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र
आइए पढ़ते है भगवान शिव के वाहन नंदी से सम्बंधित एक कहानी जिससे हमें पता चलेगा की नंदी क्यों और कैसे महादेव की सवारी बनें? और शिव प्रतिमा के सामने ही क्यों विराजित होते है नंदी ? पौराणिक कथा शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने अपनी चिंता उनसे व्यक्त की। मुनि योग और तप आदि में व्यस्त रहने के कारण गृहस्थाश्रम नहीं अपनाना चाहते थे। शिलाद मुनि ने संतान की कामना से इंद्र देव को तप से प्रसन्न कर जन्म और…
भगवान उनके भक्त और उनका प्रेम | पढ़े भक्ति एवं प्रेम युक्त ये कहानी | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र
एक गांव में भोली-भाली गरीब लड़की पंजिरी रहती थी। वह भगवान मदनमोहन जी की अनन्य भक्त थी। भगवान मदनमोहन भी उससे बहुत प्रसन्न रहते थे।वे उसे स्वप्न में दर्शन देते और उससे कभी कुछ खाने को माँगते, कभी कुछ। वह दूसरे दिन ही उन्हें वह चीज भेंट कर आती, पर वह उनकी दूध की सेवा नित्य करती। वह रोज उनके दर्शन करने जाती और दूध दे आती।सबसे पहले उनके लिए प्रसाद निकालती। दूध वह नगर में दूसरे लोगों को भी देती। लेकिन मदनमोहन जी को दूध अपनी ओर से देती।उसके…
जीवत्पुत्रिकाव्रत {जीतिया}, कौन हैं विद्याधर जीमूतवाहन जिनकी कथा आज सुननी चाहिए?
आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित पुत्रिका कहते हैं । भविष्य पुराण में कहा गया है- आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में जो अष्टमी तिथि होती है वह स्त्रियों के लिए आयुरारोग्यलाभ तथा सर्वविध कल्याण दात्री होती है । इसे जनमानस में जीवत्पुत्रिका, जितिया या जीमूतवाहन व्रत कहा जाता है । प्रायः स्त्रियाँ इस व्रत को करती है । प्रदोषव्यापिनी (संध्या के समय) अष्टमी को स्वीकार करते हुए आचार्योंने प्रदोषकाल ( सायं काल) में जीमूतवाहन के पूजन का विधान स्पष्ट शब्दों में किया है । यदि पूर्व…
जानें पौराणिक काल की इन दस दैवीय वस्तुओ का रहस्य | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र
भारत देश को योग, ध्यान, अध्यात्म, रहस्य और चमत्कारों का देश माना जाता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में ऐसी हजारों घटनाक्रम और वस्तुओं के बारे में वर्णन मिलता है जिन पर आधुनिक युग में शोध जारी है। चमत्कार और विज्ञान की ऐसी-ऐसी अजीब बातें हैं जिनमें से कुछ की वैज्ञानिक पुष्टि होने के बाद उन पर अब सहज ही विश्वास किया जाने लगा है। प्राचीनकाल में ऐसी वस्तुएं थीं जिनके बल पर देवता या मनुष्य असीम शक्ति और चमत्कारों से परिपूर्ण हो जाते थे। उन वस्तुओं के बगैर…
पितृ दोष के कारण एवं उसके निवारण | डॉ0 विजय शंकर मिश्र
कई बार मन में प्रश्न उठता है कि यह ” पितृदोष” क्या है ? पितृ-दोष शांति के सरल उपाय? पितृ गण कौन हैं ?आदि आदि ! पितृ गण हमारे पूर्वज हैं, जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन हमारे लिए किया है !अतः श्राद्ध तर्पण के द्वारा हम उस ॠण हे मुक्ति का एक महत्वपूर्ण आधार है, जिसमे हम उनके प्रति श्रद्धा के साथ मुक्त होने का प्रयत्न कर सकते हैं!वास्तव मे उन्होने हमारे लिए इतना कूछ किया है जिसका उपकार हम शायद ही…
इस महीने राहु आएंगे वृष राशि में, इन ६ राशि वालों को रहना होगा १८ महीने सतर्क | पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
✍🏻ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह माने जाने वाला राहु २३ सितंबर दिन बुधवार को मिथुन राशि से निकलकर वृषभ राशि में परिवर्तन करने वाला है। राहु हमेशा वक्री अवस्था में ही संचार करता है और मानव जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है ज्योतिष प्रकोष्ठ के संभागीय प्रचार मंत्री पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि राहु के वक्री होने से सभी राशियां पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह छाया ग्रह माना जाता है इसलिए जिस राशि पर राहु की छाया पड़ेगी, उस राशि वालों को कई समस्याओं का सामना करना…
ऋषिकेश का नीलकंठ महादेव मंदिर, जहाँ विषपान के बाद भगवान शिव ने किया था विश्राम |
जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय। तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥ जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्यों नहीं भजता? उनके समान कृपालु (और) कौन है? वैसे तो शिव के मंदिरों में द्वादश ज्योतिर्लिंग की चर्चा की जाती है लेकिन शिव भक्तों के लिए नीलकंठ महादेव का महत्व भी बहुत खास है। हालांकि नीलंकठ महादेव द्वादश ज्योतिर्लिंगों से अलग है लेकिन इसकी खास महत्ता है क्योंकि…
श्राद्ध में अर्पित सामग्री एवं भोजन पितरों को कैसे मिलती है? | डॉ0 विजय शंकर मिश्र
‘श्रद्धया दीयते यत् तत् श्राद्धम्।’ ‘श्राद्ध’ का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक किए गए पदार्थ-दान (हविष्यान्न, तिल, कुश, जल के दान) का नाम ही श्राद्ध है। श्राद्धकर्म पितृऋण चुकाने का सरल व सहज मार्ग है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितरगण वर्षभर प्रसन्न रहते हैं। श्राद्ध-कर्म से व्यक्ति केवल अपने सगे-सम्बन्धियों को ही नहीं, बल्कि ब्रह्मा से लेकर तृणपर्यन्त सभी प्राणियों व जगत को तृप्त करता है। पितरों की पूजा को साक्षात् विष्णुपूजा ही माना गया है। श्राद्ध की वस्तुएं पितरों को कैसे…