माता कैकयी ने महाराज दशरथ से भरत जी को राजगद्दी और श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास माँगा, हो सकता हैं की बहुत से विद्वानों के लिए ये साधारण सा प्रश्न हो ,लेकिन जब भी ये प्रश्न मस्तिष्क में आता हैं संतोषजनक उत्तर प्राप्त करने के लिए मन बेचैन हो जाता हैं। प्रश्न ये हैं की श्री राम को आखिर चौदहवर्ष का ही वनवास क्यों ? क्यों नहीं चौदह से कम या चौदह से ज्यादा ? भगवान् राम ने एक आदर्श पुत्र, भाई, शिष्य, पति,मित्र और गुरु बन कर…
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पुनर्जन्म के बाद भी व्यक्ति को श्राद्ध क्यों किया जाता है?
यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है। हिन्दू धर्म के अनुसार कर्मों की गति के अनुसार व्यक्ति को दूसरी योनि मिलती है। यदि किसी को नहीं मिली है तो फिर वह प्रेत योनि में चला जाता है या यदि अच्छे कर्म किए हैं तो पितृलोक या देवलोक में कुछ काल रहने के बाद पुन: मनुष्य योनि में आता है। निश्चित ही है कि जिन्हें प्रेत योनि मिली है और जो पितृलोक चले गए हैं उनके लिए भी श्राद्ध कर्म किया जाता है, लेकिन जिन्होंने दूसरा जन्म ले लिया है क्या उन्हें भी…
जानें क्या है “आत्म तत्व” !
मनुष्य का शरीर अत्यंत दुर्लभ है और पूर्व जन्मों के पुण्यों के फलस्वरूप यह प्राप्त होता है। हम प्राय: अपने इस शरीर को ही सब कुछ समझ लेते हैं। इसीलिए संसार में रहकर हम शरीर-सुख के लिए प्रतिपल प्रयासरत रहते हैं, जबकि प्राणी का शरीर नाशवान है, क्षण- भंगुर और मूल्यहीन है। शारीरिक सुख क्षणिक हैं,अनित्य हैं। इसलिए ज्ञानी जन शरीर के प्रति ध्यान न देकर, अंतरात्मा के प्रति सचेत रहने की बात करते हैं। अंतरात्मा के प्रति ध्यान देने से प्राणी का जीवन सार्थक होता है। शरीर नाशवान है…
आज भी संजीवनी बूटी उपस्थित है द्रोणागिरी पर्वत पर | बाल संत श्री मणिराम दास जी महाराज
पौराणिक मान्यताओं की हकीकत चाहे जो हो, लेकिन प्रकृति के आंचल में बसे उत्तराखंड की मनोरम पहाड़ियों पर आकर मन आस्था और विश्वास से भर जाता है. उत्तराखंड की इन दुर्गम और खूबसूरत पहाड़ियों के सीने में संजीवनी सहित कई पौराणिक कथाओं के रहस्य छिपे है. पहली बार उत्तराखंड सरकार ने द्रोणागिरी इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए द्रोणागिरी ट्रैक का आयोजन किया. द्रोणागिरी ट्रैक के समय संजीवनी बूटी तक पहुंचने के लिए एक दल ने साथ जोशीमठ से अपनी यात्रा शुरू की. जोशीमठ से द्रोणागिरी की दूरी…
क्या है सत्यम, शिवम और सुंदरम का रहस्य |
सत्यम, शिवम और सुंदरम के बारे में सभी ने सुना और पढ़ा होगा लेकिन अधिकतर लोग इसका अर्थ या इसका भावार्थ नहीं जानते होंगे। वे सत्य का अर्थ ईश्वर, शिवम का अर्थ भगवान शिव से और सुंदरम का अर्थ कला आदि सुंदरता से लगाते होंगे, लेकिन अब हम आपको बताएंगे कि आखिर में हिन्दू धर्म और दर्शन का इस बारे में मत क्या है। हालांकि वेद, उपनिषद और पुराणों में इस संबंध में अलग अलग मत मिलते हैं, लेकिन सभी उसके एक मूल अर्थ पर एकमत हैं। धर्म और दर्शन…
इन्दिरा एकादशी व्रत 13 सितम्बर रविवार | ज्यादा से ज्यादा हरे कृष्णा महामंत्र का करें जप
युधिष्ठिर ने पूछा– हे मधुसूदन ! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन के कृष्णपक्ष में कौन-सी एकादशी होती है ? भगवान श्रीकृष्ण बोले– राजन् ! आश्विन मास के कृष्णपक्ष में ‘इन्दिरा’ नाम की एकादशी होती है। उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है । नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सदगति देनेवाली है। राजन् ! पूर्वकाल की बात है। सत्ययुग में इन्द्रसेन नाम से विख्यात एक राजकुमार थे, जो माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते थे। उनका…
पृथ्वी का अमृत, तिल का तेल, जानें औषधीय गुण एवं लाभ
यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है. और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे.…
सितंबर 2020 क्यों है खास, जानिए कब है नवरात्रि, दशहरा और दीपावली | भागवत मधुकर-मणिराम दास जी (मनी भईया)
165 साल बाद अद्भुत योग : 1 से 17 सितंबर तक श्राद्धपक्ष, नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू जानिए कब है दिवाली और देवउठनी एकादशी शारदीय नवरात्र की शुरुआत पितृपक्ष की समाप्ति के बाद हो जाती है। मगर इस बार 165 साल बाद अद्भुत योग बना है। पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद शारदीय नवरात्र शुरू नहीं होंगे, बल्कि एक महीने के बाद नवरात्रों की शुरुआत होगी। अश्विनी माह में श्राद्ध पक्ष 1 सितंबर से शुरू होगा, जो कि 17 सितंबर तक चलेगा। आमतौर पर पितृपक्ष के समाप्त होते ही अगले…
जानें “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की उत्पत्ति का रहस्य | डॉ0 विजय शंकर मिश्र
ॐ नमः शिवाय सबसे लोकप्रिय हिंदू मंत्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मंत्र है। नमः शिवाय का अर्थ “भगवान शिव को नमस्कार” या “उस मंगलकारी को प्रणाम!” है। इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र या पञ्चाक्षर मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ “पांच-अक्षर” मंत्र (ॐ को छोड़ कर) है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र श्री रुद्रम् चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य” के रूप में प्रकट हुआ है। श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद का हिस्सा है और रुद्राष्टाध्यायी, शुक्ल यजुर्वेद…
कहानी (हमारी-तुम्हारी) | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र
एक धन सम्पन्न व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। पर कालचक्र के प्रभाव से धीरे धीरे वह कंगाल हो गया। उस की पत्नी ने कहा कि सम्पन्नता के दिनों में तो राजा के यहाँ आपका अच्छा आना जाना था। क्या विपन्नता में वे हमारी मदद नहीं करेंगे जैसे श्रीकृष्ण ने सुदामा की की थी? पत्नी के कहने से वह भी सुदामा की तरह राजा के पास गया। द्वारपाल ने राजा को संदेश दिया कि एक निर्धन व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है और स्वयं को आपका मित्र बताता है। राजा…