सब देवता अपने भाँति-भाँति के वाहन और विमान सजाने लगे, कल्याणप्रद मंगल शकुन होने लगे और अप्सराएँ गाने लगीं॥ सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥ कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला॥ *ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥ गरल कंठ उर नर सिर माला। असिव बेष सिवधाम कृपाला॥ शिवजी के गण शिवजी का श्रृंगार करने लगे। जटाओं का मुकुट बनाकर उस पर साँपों का मौर सजाया गया। शिवजी ने साँपों के ही कुंडल और कंकण पहने, शरीर पर विभूति रमायी और…
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“डेढ़ टिकट” हृदयस्पर्शी प्रेरणादायक कहानी
महानगर के उस अंतिम बसस्टॉप पर जैसे ही कंडक्टर ने बस रोक दरवाज़ा खोला, नीचे खड़े एक देहाती बुज़ुुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते क़दमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी। गांव जाने वाली उस आख़िरी बस में पांच-छह सवारों के चढ़ने के बाद पैर रखने की जगह भी जगह नहीं थी। बस चलने पर हाथ की मूर्ति को संभाल, उन्हें संतुलन बनाने की असफल कोशिश करते देख जब कंडक्टर…
“नज़र और नज़रिया” एक प्ररेणा दायक कहानी
एक बार की बात है। एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा। अगली सुबह, जब वे नाश्ता कर रहे थे, तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं – “लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता … ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं?’’ पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया। एक-दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे। पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी…. “कब सीखेंगे…
भगवान शिव को बिल्वपत्र चढाने के 108 मन्त्र
भगवान शिव को बिल्वपत्र चढाने के 108 मन्त्र त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् । त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥१॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः । तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥२॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् । सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥३॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् । नागकुण्डलसंयुक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥४॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् । चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥५॥ त्रिलोचनं दशभुजं दुर्गादेहार्धधारिणम् । विभूत्यभ्यर्चितं देवं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥६॥ त्रिशूलधारिणं देवं नागाभरणसुन्दरम् । चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥७॥ गङ्गाधराम्बिकानाथं फणिकुण्डलमण्डितम् । कालकालं गिरीशं च एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥८॥ शुद्धस्फटिक सङ्काशं शितिकण्ठं कृपानिधिम् । सर्वेश्वरं सदाशान्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥९॥…
जानें सुख-समृद्धि देने वाले ये पांच देवता | पुराणों में इनकी उपासना का है विशेष महत्व
एक परम प्रभु चिदानन्दघन परम तत्त्व हैं सर्वाधार । सर्वातीत, सर्वगत वे ही अखिल विश्वमय रुप अपार। हरि, हर, भानु, शक्ति, गणपति हैं इनके पांच स्वरूप उदार। मान उपास्य उन्हें भजते जन भक्त स्वरुचि श्रद्धा अनुसार। (पद-रत्नाकर) निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव!!!!!! परब्रह्म परमात्मा निराकार व अशरीरी है, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उसके स्वरूप का ज्ञान असंभव है । इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं । ये पंचदेव हैं—विष्णु, शिव, गणेश, सूर्यऔर शक्ति।…
माता जगदम्बा के 9 अवतारों का विस्तृत वर्णन
ये हैं सती पार्वती के 9 अवतार… कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि। इनके दो पुत्र हैं गणेश और कार्तिकेय। माता के नौ अवतारों का ये हैं नवदुर्गा अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे…
धर्मशास्त्र की महत्ता एवं भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़ी कुछ जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें
धर्मशास्त्र की महत्ता एवं भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़ी कुछ जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें दो प्रकार का धर्म 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ १. इष्ट अर्थात यज्ञ याग २. पूर्त अर्थात मंदिर जलाशय का निर्माण, वृक्षारोपण ,जीर्णोद्धार ! इन दोनों का निर्देश इष्टपूर्त शब्द से होता है। मुक्ति के दो साधन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तत्वज्ञान एवं तीर्थक्षेत्र मे देहत्याग। दो पक्ष 〰️〰️〰️ कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष। तिथियों के दो प्रकार 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ १. शुद्धा- सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहने वाली २. विद्धा (यासखंडा) इसके दो प्रकार माने जाते है, (अ). सूर्योदय से ६ घटिकाओ तक चलकर…
जानें क्यों तुलसी की माला पहनना है आवश्यक
तुलसी की माला….साधारण काष्ठ नहीं है तुलसी की माला वैष्णव चिह्न से भी आगे की चीज़ है।हमारा यह शरीर भगवान का मंदिर है. जिसमें युगल सरकार राधाकृष्ण का वास है, और हमारी आत्मा ही प्रभु का शरीर है।जब हम तुलसी की माला गले में पहनते हैं तो हम कहते हैं- ” भगवान हम जैसे भी हैं तुम्हारे ही हैं।” हम सभी जीव कृष्ण जी के भोग्य हैं , उनके दास हैं। और कृष्ण जी तुलसी के बिना कुछ भी ग्रहण नहीं करते तो श्री गुरुदेव कृपा करके तुलसी गले में…
गुरु कृपा की महिमा | संत श्री मनिरामदास जी महाराज
भले ही आपके भाग्य में कुछ नहीं लिखा हो पर अगर “श्री सदगुरुदेव भगवान की कृपा” आप पर हो जाए तो आप वो भी पा सकते है जो आपके भाग्य में नही है। काशी नगर के एक धनी सेठ थे, जिनके कोई संतान नही थी। बड़े-बड़े विद्वान् ज्योतिषियो से सलाह-मशवरा करने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नही मिला। सभी उपायों से निराश होने के बाद सेठजी को किसी ने सलाह दी की आप गोस्वामी तुलसीदास जी के पास जाइये वे रोज़ रामायण पढ़ते है तब भगवान “राम” स्वयं कथा…
जानें आत्मा नए शरीर में कैसे प्रवेश करती है?
गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न किया मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं? भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण) मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर जाता है आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से (1) ज्ञानियों का आत्मा मस्तिस्क के उपरी सिरे से बाहर जाता है (2) पापियों का आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है…