शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा जी की उपासना का पर्व है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि हर साल यह पावन पर्व श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा अधिक मास के कारण संभव नहीं हो पाया। इस साल नवरात्रि पर्व 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे है जो 25 अक्टूबर तक चलेगे। शारदीय नवरात्रि का महत्व:- आचार्य पंडित नरेन्द्र जी ने बताया कि धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है, नवरात्र के…
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जानें पुनर्जन्म से सम्बंधित चालीस अनोखे प्रश्न एवं उनके उत्तर
जानें पुनर्जन्म से सम्बंधित चालीस अनोखे प्रश्न एवं उनके उत्तर (1) प्रश्न :- पुनर्जन्म किसको कहते हैं ? उत्तर :- जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं । (2) प्रश्न :- पुनर्जन्म क्यों होता है ? उत्तर :- जब एक जन्म के अच्छे बुरे कर्मों के फल अधुरे रह जाते हैं तो उनको भोगने के लिए दूसरे जन्म आवश्यक हैं । (3) प्रश्न :- अच्छे बुरे कर्मों का फल एक ही जन्म…
हनुमानजी ने भीम को दिए थे अपने 3 बाल, जानें इस रहस्य को
महाभारत और रामायण में कई रहस्य छुपे हुए हैं। ऐसा ही एक रहस्य है महाभारत में। यह उस समय की बात है, जब युद्ध में पांडवों ने कौरवों पर विजयश्री प्राप्त कर ली थी और पांडव हस्तिनापुर में सुखपूर्वक जीवन गुजार रहे थे। युधिष्ठिर के राज में प्रजा को किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी। किंवदंतियों की मान्यता अनुसार कि एक दिन देवऋषि नारद मुनि महाराज युधिष्ठिर के समक्ष प्रकट हुए और कहने लगे कि आप सभी पांडव यहां प्रसन्नतापूर्वक रह रहे हैं, लेकिन वहां स्वर्गलोक में आपके…
भगवान शंकर के पूर्ण रूप कालभैरव जी की कथा!
एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया | शिवजी की माया से मोहित ब्रह्माजी उस तत्व को न जानते हुए भी इस प्रकार कहने लगे – मैं ही इस संसार को उत्पन्न करने वाला स्वयंभू, अजन्मा, एक मात्र ईश्वर , अनादी भक्ति, ब्रह्म घोर निरंजन आत्मा हूँ। मैं ही प्रवृति उर निवृति का मूलाधार , सर्वलीन पूर्ण ब्रह्म हूँ | ब्रह्मा जी ऐसा की पर मुनि मंडली में विद्यमान विष्णु जी ने उन्हें समझाते हुए कहा की…
जानें क्या है भगवान श्रीराम का विजय-मन्त्र!, जिस मंत्र से आप की कभी हार नही होगी | डॉ0 विजय शंकर मिश्र
भगवान श्रीराम का विजय-मन्त्र : ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ भगवान के ‘नाम’ का महत्व भगवान से भी अधिक होता है । भगवान को भी अपने ‘नाम’ के आगे झुकना पड़ता है । यही कारण है कि भक्त ‘नाम’ जप के द्वारा भगवान को वश में कर लेते हैं । जब हनुमानजी संकट में थे, तब सबसे पहले ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ मन्त्र नारदजी ने हनुमानजी को दिया था । इसलिए संकट-नाश के लिए इस मन्त्र का जप मनुष्य को अवश्य करना चाहिए । यह मन्त्र ‘मन्त्रराज’…
माँ लक्ष्मी की भरपूर कृपा पाने के लिए अवश्य करें यह 10 कार्य | आचार्य:- पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
आपको लगता है कि आप रुपये-पैसों की परेशानियों से परेशान है तो आप यह सामान्य से उपाय करके माँ लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर सकते है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि यह बहुत सामान्य से नियम है जो आपके लिए प्रतिदिन नियम से करना चाहिए इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है। १:- मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए अपने घर एवं व्यावसायिक स्थल पर साफ-सफाई रखते हुए हमेशा पवित्रता कायम रखें, ध्यान रहे कि किसी भी अशुद्ध या गंदे स्थान से माता लक्ष्मी रूठकर…
सनतान धर्म के अनुसार हिंदुओं के चार धाम के विषय में रोचक जानकारी
हिंदू मान्यता के अनुसार चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है। इन्हें तीर्थ भी कहा जाता है। ये चार धाम चार दिशाओं में स्थित है। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका। प्राचीन समय से ही चारधाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे, लेकिन इनकी महिमा का प्रचार आद्यशंकराचार्यजी ने किया था। माना जाता है, उन्होंने चार धाम व बारह ज्योर्तिलिंग को सुचीबद्ध किया था। क्यों बनाए गए चार धाम? 🍃🍃🍃🌼🌼🍃🍃🍃 चारों धाम चार दिशा में स्थित करने के पीछे जो सांंस्कृतिक लक्ष्य था,…
श्री पंचमुखी गणेश जी का महात्म्य |
आपने पंच मुखी हनुमानजी की तरह आपने पंचमुखी गणेशजी की भी प्रतिमाएं देखी होगी। क्या आप जानते है क्या है इनका अर्थ ? शुभ और मंगलमयी होते हैं पंचमुखी गणेश पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है। पंच का अर्थ है पांच। मुखी का मतलब है मुंह। ये पांच पांच कोश के भी प्रतीक हैं। वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के माध्यम से समझाया गया है। इन पंचकोश को पांच तरह का शरीर कहा गया है। पहला कोश है…
पौराणिक प्रसंगों के द्वारा जानें श्राप (शाप) और वरदान की शक्ति
‘विश्वामित्र कल्प’ में ब्रह्मदण्ड, ब्रह्मशाप, ब्रह्मास्त्र आदि ऐसे प्रसंगों का वर्णन है जिनके आधार पर किसी को दण्ड स्वरूप शाप देने के प्रारूप और विधान का वर्णन है। तपस्वियों की वाणी में इतनी विशिष्टता हो जाती है कि उनकी वाक् सिद्धि किसी को प्रसन्न होने पर वरदान भी दे सकती है और क्रुद्ध होने पर शाप भी। पर उसका कुछ कारण होना चाहिए। अकारण निर्दोषों को दिये हुये शाप प्रायः फलित भी नहीं होते। सिद्ध वाणी बादल की तरह अमृत भी बरसा सकती है। परीक्षित ने समाधिस्थ लोमश ऋषि का…
भगवान शंकर के पूर्ण रूप कालभैरव की कथा !
एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया | शिवजी की माया से मोहित ब्रह्माजी उस तत्व को न जानते हुए भी इस प्रकार कहने लगे – मैं ही इस संसार को उत्पन्न करने वाला स्वयंभू, अजन्मा, एक मात्र ईश्वर , अनादी भक्ति, ब्रह्म घोर निरंजन आत्मा हूँ। मैं ही प्रवृति उर निवृति का मूलाधार , सर्वलीन पूर्ण ब्रह्म हूँ | ब्रह्मा जी ऐसा की पर मुनि मंडली में विद्यमान विष्णु जी ने उन्हें समझाते हुए कहा की…