जानें सनतान धर्म के शास्त्रोंक्त सोलह महादान

शास्त्रों में दान की अपरिमित महिमा आयी है और दान में देय-द्रव्यों की भी संख्या अपरिगणित ही है, किंतु उसमें विशेष बात यह है कि देयवस्तु में दाता का स्वत्वाधिकार होना चाहिए। पुरुषों तथा स्त्रियों में दान के कुछ पदार्थों की संख्या भी नियत रूप में आयी है, जैसे सोलह महादान, दसदान, अष्ट दान, पंचधेनु दान आदि। यहाँ सोलह महादानों की संक्षेप में चर्चा प्रस्तुत है एक बार की बात है, सूत से ऋषियों ने प्रश्न किया कि हे सूतजी! सभी शास्त्रों में न्यायपूर्वक धनार्जन, सत्प्रयत्नपूर्वक उसकी वृद्धि, उसकी रक्षा…

प्राचीन काल के ऋषि, मुनि और उनके आविश्वकार | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

भारत की धरती को ऋषि, मुनि, सिद्ध और देवताओं की भूमि पुकारा जाता है। यह कई तरह के विलक्षण ज्ञान व चमत्कारों से अटी पड़ी है। सनातन धर्म वेदों को मानता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने घोर तप, कर्म, उपासना, संयम के जरिए वेदों में छिपे इस गूढ़ ज्ञान व विज्ञान को ही जानकर हजारों साल पहले ही प्रकृति से जुड़े कई रहस्य उजागर करने के साथ कई आविष्कार किए व युक्तियां बताईं। ऐसे विलक्षण ज्ञान के आगे आधुनिक विज्ञान भी नतमस्तक होता है। कई ऋषि-मुनियों ने तो वेदों की मंत्र-शक्ति…

शनिदेव की पौराणिक कथा और रहस्य!

प्रत्येक इंसान के जीवन मे उतार चढ़ाव लगे ही रहते है इनका मुख्य कारण पुर्व जन्म कृत कर्म ही होते है। ज्योतिषी मान्यताओं के अनुसार हमारे कर्मो के अनुसार ही ग्रह फल देते है। पौराणिक ग्रंथो में शनि देव को न्यायाधीध के रूप में दर्शाया गया है। शनि देव सदैव से जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। पौपौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव कश्यप वंश की परंपरा में भगवान सूर्य की पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव को सूर्य पुत्र के साथ साथ पितृ शत्रु भी कहा जाता है। शनिदेव के भाई-बहन…

जानें हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति की जीवनशैली के वैज्ञानिक पक्ष

ऐसी बहुत सी चीजें है जो हम सदियों से करते चले आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ जोड़ कर नमस्कार करना, बड़ों के पैर छूना, मंदिर की घंटी बजाना, आदि हम सिर्फ संस्कृति के हिसाब से ही नहीं करते, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। तो आइये जानें इन रीति-रिवाजों से जुड़े कुछ ऐसे वैज्ञानिक कारण जो आपको हैरान कर देंगे। हाथ जोड़कर प्रणाम करना 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 हिन्दू संस्कृति में लोग, अपने हाथ जोड़ कर लोगों का अभिवादन करते हैं जिसे हम नमस्कार कहते हैं। इसका…

पीपल के पेड़ का महत्व एवं नवग्रह दोष दूर करने के सरल व चमत्कारिक उपाय | आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए:- मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच । पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमोस्तुते ।। हिदु धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास भी माना गया है। पीपल वस्तुत: भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है की वृक्षों में मैं पीपल हूँ। पुराणो में उल्लेखित है कि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः। अग्रतः…

कुण्डलिनी शक्ति क्या है, इसे जागृत करने का रहस्य

•शरीर के भीतर जो उर्जा का केन्द्र है उसे ही कुण्डलिनी कहा जाता है यह शक्ति सुसुप्तावस्था मे होती है । शरीर को जितनी शक्ति की आवश्यकता है उतनी शक्ति उसे स्वतः मिलती रहती है यही जीवन उर्जा का केन्द्र है। विशेष कार्य के लिए शरीर को अतिरिक्त शक्ति की आवश्यकता होने पर वही से प्राप्त होती है, सामान्य व्यक्ति इसके १५% का ही उपयोग कर पाता है बाकी सुप्त पडी रहती है। इसको विधि पुर्वक जाग्रत भी किया जा सकता है। हठ योग में इसकी विधियाँ हैं किन्तु वह…

“नवरात्र में क्यों जलाते हैं अखंड ज्योत”

नवरात्र यानि नौ दिनों तक चलने वाली देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के साथ ही इस पावन पर्व पर कई घरों में घटस्थापना होती है, तो कई जगह अखंड ज्योत का विधान है। शक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर माँ दुर्गा की साधना करते हैं। अखंड ज्योति अर्थात ऐसी ज्योति जो खंडित न हो। अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए यानी जलती रहनी चाहिए। अंखड दीप को विधिवत मत्रोच्चार से प्रज्जवलित करना चाहिए। नवरात्री में कई नियमो का पालन किया जाता है।…

ब्राह्मण से ही पूजा-पाठ क्यों कराएं ? | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

यम-नियम में आबद्ध ब्राह्मण- वर्ग अपनी निरंतर उपासना व त्यागवृत्ति, सात्त्विकता एवं उदारता के कारण ईश्वरतत्त्व के सर्वाधिक निकट रहते हैं। फिर धर्मशास्त्र, कर्मकांड के ज्ञाता एवं अधिकारी विद्वान होने के कारण परंपरागत मान्यता अनुसार पूजा-पाठ करने का अधिकार उन्हें ही है। ब्राह्मण को देवता क्यों कहा गया ? उत्तर:- दैवाधीनं जगत्सर्वं, मंत्राधीनं देवता। ते मंत्रा विप्रं जानंति, तस्मात् ब्राह्मणदेवताः।। यह सारा संसार विविध देवों के अधीन है। देवता मंत्रों के अधीन हैं। उन मंत्रों के प्रयोग-उच्चारण व रहस्य को विप्र भली-भांति जानते हैं इसलिये ब्राह्मण स्वयं देवता तुल्य होते…

ऐसे करें मंत्र का जाप तो बन जाएंगे बिगड़े काम

मंत्र शरीर को रोग, भय, दुख, शोक, विजय, शत्रुनाश, वशीकरण आदि से लेकर समस्त सांसारिक दुखों से मुक्त करने और ईश्वर प्राप्ति में पूर्णतः सक्षम हैं। मंत्र योग संहिता के अनुसार – मंत्रार्थ भावनं जपः अर्थात् प्रत्येक मंत्र के अर्थ को जानकर ही जप करने पर अभीष्ट फल प्राप्त होता है। मंत्र शब्द में मन और त्र ये दो शब्द हैं। मन शब्द से मन को एकाग्र करना और त्र शब्द से त्राण अर्थात् रक्षा करना। यदि मंत्रों का उच्चारण सटीक हो तो जप करने पर अभीष्ट फल प्राप्त होता…

शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों की महिमा | डॉ0 विजय शंकर मिश्र

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥ इस स्तोत्र के जप मात्र से व्यक्ति को शिवजी के साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है। जो भी व्यक्ति इस स्तोत्र को नियमित जप करता है, उसे महालक्ष्मी की कृपा हमेशा प्राप्त होती है क्या आप जानते हैं भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग देश के…