नवरात्रि में हम देवी दुर्गा के रूप में शक्ति की पूजा करते हैं। आसुरी शक्तियों पर दैवीय शक्तियों के विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है। हमारे अंदर भी कुछ बुरी ताकतें होती हैं जो हमारी अच्छाई पर हावी होना चाहती हैं। ऐसे में बुराई पर अच्छाई को प्रबल बनाने का संकल्प लेकर हमारे अंदर के बेहतरीन लीडर को तलाश और तरास सकते हैं 1.निडरता और अंदरूनी शक्ति: दुर्गा शब्द दुर्गम से बना है जिसका तात्पर्य निडरता से है। चाहे कितनी भी बड़ी विपत्ति आ जाए, संकल्पों का साथ…
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जानें माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा एवं नवरात्रि का महत्त्व
अगर रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता तो उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें। हिन्दू धर्मानुसार यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। जिन्हे नवदुर्गा कहते…
नवरात्रि में करें सिर्फ ये कार्य, आपके सभी मनोरथ होंगे पूर्ण-नवरात्र में बनेगें अनेक शुभ योग
17 अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले शरद नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि, रवि योग का संयोग बन रहा है। श्रीमद् देवी भागवत व देवी ग्रंथों के अनुसार इस तरह के संयोग का बहुत ही महत्व है नवरात्र के समय ऐसे योगो का दोगुना फल मिलता हैं । इसलिए यह नवरात्र देवी साधकों के लिए खास होते हैं दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती का पाठ सुख शांति, समृद्धि, धन प्राप्ति, संतान प्राप्ति ,व्यापार वृद्धि और हर मनोकामना में सफलता प्राप्ति है, और नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ…
बृहस्पति व्रत कथा, पूजा और उद्यापन विधि
हिन्दू धर्म में बृहस्पतिवार के दिन श्री हरी विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरी का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जल्द शादी करने की इच्छा रखे वालो के लिए भी ये व्रत बहतु लाभदायक होता है। अग्निपुराणानुसार अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारंभ करके सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा घर में सुख शांति और श्री विष्णु भगवान् का आशीर्वाद भी…
भारत के दस रहस्यमय मंदिर, कोई नहीं जान पाया अब तक इनके राज़
प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे। इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो वास्तु से है, न खगोल विज्ञान से और न ही खजाने से इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई जान पाया है। ऐसे ही 10 मंदिरों के बारे में हमने आपके लिए जानकारी जुटाई है। भारत में…
जानें ऊँ की ध्वनि का महत्व और नियमित अभ्यास से ठीक होने वाले शारीरिक रोग एवं विकार
एक घडी,आधी घडी,आधी में पुनि आध तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध। 1 घड़ी= 24मिनट 1/2घडी़=12मिनट 1/4घडी़=6 मिनट क्या ऐसा हो सकता है कि 6 मि. में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं। उत्तर है हाँ हो सकते हैं वैज्ञानिक शोध करके पता चला है कि सिर्फ 6 मिनट ऊँ का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते छः मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क मै विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है और औक्सीजन का…
जानें माता वैष्णो देवी की अमर कथा
वैष्णो देवी उत्तरी भारत के सबसे पूजनीय और पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर पहाड़ पर स्थित होने के कारण अपनी भव्यता व सुंदरता के कारण भी प्रसिद्ध है। वैष्णो देवी भी ऐसे ही स्थानों में एक है जिसे माता का निवास स्थान माना जाता है। मंदिर, 5,200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थ यात्री मंदिर के दर्शन करते हैं।यह भारत में तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थस्थल है। वैसे…
पुरुषोत्तमा (परमा) एकादशी पूजा विधि एवं व्रत कथा
परमा एकादशी पूजा विधि अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पुरुषोत्तमा अथवा परमा एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी व्रत में जिन नियमों का पालन किया जाता है परमा एकादशी में उन नियमों की पालना तो की ही जाती है साथ ही परमा एकादशी का उपवास पांच दिनों तक रखने का विधान भी है। इस व्रत का पालन कठिन बताया जाता है। एकादशी के दिन स्नानादि के पश्चात स्वच्छ होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष बैठकर हाथ में जल व फूल ले संकल्प लिया…
जानें महादेव शिव की गोपी लीला ! जब भोलेनाथ ने धरा एक गोपिका का स्वरूप
जानें महादेव शिव की गोपी लीला ! जब भोलेनाथ ने धरा एक गोपिका का स्वरूप आप सभी ने यह सुना होगा कि भगवानशिव ने एक बार गोपी का स्वरूप धारण किया था। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने द्वापर में कृष्णअवतार लिया तब उन्होंने एक बार शरद पूर्णिमा के दिन ब्रज गोपिकाओं के साथ महारास करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी कामबीज नामक बंसी पर जब तान क्षेड़ा तो सारी गोपिकाएँ बंसी की धुन सुन कर भागी भागी मधुबन को आ गई। बंसी की धुन से तीनों लोक…
इन नौ औषधियों में वास है नवदुर्गा का
इन नौ औषधियों में वास है नवदुर्गा का मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,जिन्हें मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया। चिकित्सा प्रणाली का यह रहस्य वास्तव में ब्रह्माजी ने दिया था जिसे बारे में दुर्गाकवच में संदर्भ मिल जाता है। ये औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने…