श्रावण सोमवार के दिन अमावस्या तिथि होने से इसे सोमवती अमावश्या कहा जाता है , आज के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर के पितृ दोष का निवारण किया जाता है आधुनिक काल में पितृ दोष को ही कालशर्प दोष का नाम दे दिया गया है, आज के दिन पित्र दोष , काल सर्प दोष की शांति के लिए बहुत ही शुभ दिन है ,काल शर्प वैसे देखा जाय तो शर्प योनी के बारे में अनेक वर्णन मिलते है | हमारे धर्म शास्त्रों में गीता में स्वयं भगवान् श्री कृष्ण…
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जानिए भूत-प्रेत, उपरी हवा एवं उनके उपचार के बारे में :- पंडित कौशल पाण्डेय
भूत प्रेत के बारे में सुनकर तो विश्वास नहीं होता है लेकिन जब सामना होता है तब लगते है की हाँ ये भी बिचारे इस दुनिया के ही बशिंदे है .. आपलोग भी इनसे मिलेगे तो इनका भी मन लगा रहेगा .. आखिर है तो ये भी उसी इश्वर के बनाये हुए .. दोस्ते के दोस्त और दुस्मनो के दुश्मन …वैसे भूत शब्द स्वयं में अत्यंत रहस्यमय है और उसी प्रकार उनकी दुनिया भी उतनीही रहस्यमयी है। आइये, इस लेख से जानें कि भूत-प्रेत कौन होते हैं और कैसे बनते…
जानें “कामिका एकादशी” महात्म्य, एवं व्रत का फल | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज श्री धाम अयोध्या जी।
जानें “कामिका एकादशी” महात्म्य, एवं व्रत का फल | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज श्री धाम अयोध्या जी। युधिष्ठिर ने पूछा : गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्कार है ! श्रावण मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? कृपया उसका वर्णन कीजिये । भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! सुनो । मैं तुम्हें एक पापनाशक उपाख्यान सुनाता हूँ, जिसे पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने नारदजी के पूछने पर कहा था । नारदजी ने प्रश्न किया !हे भगवन् ! हे कमलासन ! मैं आपसे यह सुनना…
जानें 2020 में सावन के शिवरात्रि का महत्व | पंडित कौशल पांडेय
सावन शिवरात्रि 2020 :-पंडित कौशल पाण्डेय श्रावण का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है और इस महीने की शिवरात्रि के दिन शिव भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेख करते है। इस साल सावन शिवरात्रि 19 जुलाई रविवार को है। कोरोना काल होने के कारण इस वर्ष कावंड यात्रा स्थगित है लेकिन आज के दिन पवित्र नदियों से गंगा जल लाकर भक्त शिवलिंग पर चढ़ाते है। शिवरात्रि पूजा मुहूर्त चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 19, 2020 को 12:41 AM बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त – जुलाई 20, 2020 को 12:10 AM बजे निशिता…
चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए | जानें चरणामृत का महत्व | संत श्री मणिराम दास जी
अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है, ☝क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की कि चरणामृतका क्या महत्व है, ❋━━► शास्त्रों में कहा गया है अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।। ☝”अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप -व्याधियों का शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है। जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता” जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता, जैसे…
भगवत्सेवा से बढ़कर है संतों की सेवा | बाल संत- श्री मणिराम दास जी महराज
गृहस्थ जीवन में रहकर यदि मनुष्य अपने वर्णाश्रम धर्म के अनुसार जीविका उपार्जन करता हुआ भगवान के भजन के साथ संत-सेवा और दान-पुण्य आदि कर्म करता रहे तो इससे भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं । तन पवित्र सेवा किये धन पवित्र कर दान । मन पवित्र हरि भजन कर होत त्रिविध कल्यान ।। संत न होते जगत मंह जरि जातो संसार। भक्ति ज्ञान वैराग्य को को करतो परचार।। (श्री प्रेम रामायण) सेवा से तन पवित्र हो जाता है, दान से धन पवित्र हो जाता है और हरि-भजन से चित्त पवित्र…
देवों के देव महादेव शिव और पवित्र सावन मास की परुणान्तर कथाएँ | बाल संत श्री मणिराम दास जी
सावन का महीना और चारों और हरियाली। भारतीय वातावरण में इससे अच्छा कोई और मौसम नहीं बताया गया है। जुलाई आखिर या अगस्त में आने वाले इस मौसम में, ना बहुत अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत ज्यादा सर्दी। वातावरण को अगर एक बार को भूला भी दिया जाए, किन्तु अपने आध्यात्मिक पहलू के कारण सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व बताया गया है। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने…
कैसे करें रुद्राभिषेक, जानें महादेव शिव के रुद्राभिषेक से होने वाले अठारह लाभ | संत श्री मणिरामदास महाराज
(१) इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट हो जाती हैं। (२) निः संतान को संतान प्राप्ति के लिए गो दुग्ध से रुद्राभिषेक करना चाहिए। (३) रुद्राभिषेक करने से योग्य सुपुत्र की प्राप्ति होती है। (४) ज्वर के ताप से बचने के लिए गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। (५) वंश के विस्तार के लिए सहस्रनाम का पाठ करते हुए घी से रुद्राभिषेक करें। (६) प्रमेह आदि रोगों से शांति हेतु दुग्ध से रुद्राभिषेक करें। (७) शत्रु से निजात पाने के लिए सरसो के तेल से अभिषेक करना…
कौन सी शिव प्रतिमा के पूजन का क्या होता है फल, मनोरथ के अनुसार चयन करें प्रतिमा | श्री मणिराम दास जी महराज
भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। लेकिन भगवान शिव की मूर्ति पूजन का भी अपना ही एक अलग महत्व है। श्रीलिंग महापुराण में भगवान शिव की विभिन्न मूर्तियों के पूजन के बारे में बताया गया है। कार्तिकेय के साथ भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। मनुष्य को सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती हैं, सुख मिलता है। जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में त्रिशूल लिए…
अतुलित बलशाली हनुमान जी ने कैसे तोड़ा बाली के बल का अहंकार | बालसंत मणिरामदास जी महाराजप
महाबली श्री हनुमान जी महराज जी के अंदर कितनी शक्ति है, कितना बल पराक्रम है उसे जानना बहुत ही कठिन काम है। क्यूंकि हमारे अनंत बलवंत श्री हनुमंत लाल जी महाराज जी को अतुलितबलधामम कहा जाता है। आईए हम सब आज जानते हैं कि श्री हनुमान जी महराज जी की कनिष्ठिका अंगुली मात्र में कितना बल है। एक एरावत हाथी में दस हजार हाथी का बल होता है। और दस हजार ऐरावत हाथी में जितना बल होता है, उतना बल देवराज इन्द्र में होता। कहने का मतलब एक अकेले देवराज…