येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।। रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार का त्योहार है, एक मामूली सा धागा जब भाई की कलाई पर बंधता है, तो भाई भी अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार हो जाता है। क्या आप जानते हैं रक्षाबंधन की परंपरा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं, भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसकी बदौलत आज भी…
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जानें कैसे पड़ा भगवान श्रीकृष्ण का नाम लड्डू गोपाल | श्री मणिराम दास जी महराज |
भगवान श्रीकृष्ण के कई नाम हैं, श्याम, मोहन, बंसीधर, कान्हा और न जाने कितने, लेकिन इनमें से एक प्रसिद्ध नाम है लड्डू गोपाल। क्या आपको पता है भगवान कृष्ण का नाम लड्डू गोपाल क्यों पड़ा। ब्रज भूमि में बहुत समय पहले श्रीकृष्ण के परम भक्त रहते थे.. कुम्भनदास जी । उनका एक पुत्र था रघुनंदन । कुंम्भनदास जी के पास बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण जी का एक विग्रह था, वे हर समय प्रभु भक्ति में लीन रहते और पूरे नियम से श्रीकृष्ण की सेवा करते। वे उन्हें छोड़ कर कहीं…
भगवान किसी का उधार नहीं रखते | संत श्री मणिराम दास जी महराज श्री धाम अयोध्या |
एक बार की बात है। वृन्दावन में एक संत रहा करते थे। उनका नाम था कल्याण । बाँके बिहारी जी के परमभक्त थे एक बार उनके पास एक सेठ आया। अब था तो सेठ लेकिन कुछ समय से उसका व्यापार ठीक नहीं चल रहा था। उसको व्यापार में बहुत नुकसान हो रहा था। अब वो सेठ उन संत के पास गया और उनको अपनी सारी व्यथा बताई और कहा महाराज आप कोई उपाय करिये। उन संत ने कहा देखो अगर मैं कोई उपाय जनता तो तुम्हें अवश्य बता देता ।…
भागवत कथा अंतर्गत “गोपी गीत” प्रंसग | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |
रासक्रीड़ा आरंभ हुई, खूब ऊँचे स्वर से गान होने लगा। गोपियाँ प्रेम से नाचने लगीं। इस प्रकार वहाँ अपूर्व आनन्द छा गया। धीरे-धीरे भगवान की समीपता पाकर गोपियों को यह गर्व हुआ कि भूतल की स्त्रियों में हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं। भगवान तो सर्वथा असंग हैं। उनकी जो लीला होती है केवल भक्तों के परितोष के लिए ही होती है। किन्तु वे भक्तों का गर्व नहीं देख सकते,उन्होंने देखा कि गोपियों को गर्व हो गया, अतः वे उसी समय अंतर्हित हो गये। अब गोपियों के दुख का पार न रहा।…
जानें नाग पंचमी का महत्व एवं पुण्य फल :- पंडित कौशल पाण्डेय |
नाग पंचमी का पर्व 25 जुलाई 2020 दिन शनिवार को मनाया जाएगा, यह सनातन धर्म का प्राचीन पर्व है, कई सालों के बाद इस वर्ष नाग पंचमी के दिन सर्वसिद्धि योग लग रहा है, जन्मकुंडली में शर्प योनि वाले या पित्र दोष वाले जातक आज के दिन नागराज की पूजा करे। देवो के देव महादेव के आधीन है सभी नाग , इसलिए महादेव शिव की पूजा आराधना नियमित रूप से करे, तांबे अथवा चांदी का शर्प भगवान शिव को अर्पण कर के गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से…
कैसे करें भगवान शिव की मानस पूजा | पंडित कौशल पाण्डेय
शिव मानस पूजा रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं। नाना रत्न विभूषितम् मृग मदामोदांकितम् चंदनम॥ जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा। दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥1॥ सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं। भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥ शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं। ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥2॥ छत्रं चामर योर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निमलं। वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा॥ साष्टांग प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा ह्येतत्समस्तं ममा। संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो॥3॥ आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं। पूजा…
इस वर्ष हरियाली तीज का महापर्व 23 जुलाई 2020 गुरुवार के दिन | जानें क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज या कजली तीज के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन माता पार्वती का भगवान शिव से पुनर्मिलन हुआ था। आज के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और माता पार्वती एवं भगवान शिव शंकर की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करती हैं। हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया गुरुवार 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 03 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त: 23 जुलाई को दोपहर…
जानें भगवान शिव के अभिषेक की पावन परम्परा का रहस्य | पंडित कौशल पाण्डेय
भगवान शिव का अभिषेक करने की परंपरा वैदिक काल से ही चली आयी है। ऋषियों ने भगवान शिव की सभी अर्चन विधि तथा कामनाएं रूद्राभिषेक में समाहित कर दी हैं। समस्त कामनाओं की संपूर्ति करने में भगवान सदाशिव ही सर्व समर्थ और सक्षम हैं। विशेषकर शिवार्चन के लिये श्रावण सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैसे तो शिवार्चन सदा ही कल्याणकारी है किंतु श्रावण का महत्व सदा विशिष्ट माना गया है। वैदिक परम्परा के अनुसार गंगाजल तथा तीर्थों का जल लाकर विभिन्न स्थलों पर शिवलिंग पर अभिषेक करने का विशेष महत्त्व माना…
जाने बिल्व पत्र की विशेषता के बारे में | बाल संत मणिराम दास जी महराज |
भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। बेल के पत्ते शंकर जी का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर…
महाकाल के “35” मर्म एवं अद्भुत रहस्य | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |
🔱1. आदिनाथ शिव : – सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है। 🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : – शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था। 🔱3. भगवान शिव का नाग : – शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई…