165 साल बाद बना ऐसा संयोग, अधिकमास के कारण पितृपक्ष के 1 महीने बाद आएगी नवरात्रि | संत श्री मणिराम दास जी महराज

हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है और घट स्‍थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है। यानी पितृ अमावस्‍या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है जो कि इस साल नहीं होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्‍त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा। आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ…

जानें हरतालिका तीज व्रत के नियम एवं महात्म्य | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज (मनी भईया)

हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता हैं। यह तीज का त्यौहार भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। यह आमतौर पर अगस्त – सितम्बर के महीने में ही आती है. इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते है। भगवान शिव और पार्वती को समर्पित इस व्रत को लेकर इस बार उलझन की स्थिति बनी हुई है। व्रत करने वाले इस उलझन में हैं कि उन्हें किस दिन यह व्रत करना चाहिए। इस उलझन की वजह यह है कि इस साल पंचांग की…

रामायण भोग नही अपितु त्याग का संदेश देती है | भागवत मधुकर बाल संत श्री मणिराम दास जी |

भरत जी नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी उनके आदेश से राज्य का संचालन करते हैं। एक रात माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई, पूछा कौन हैं? मालूम पड़ा श्रुतिकीर्तिजी हैं।नीचे बुलाया गया। श्रुतिकीर्ति जी, जो सबसे छोटी हैं, आईं और चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं। माता कौशल्याजी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो? क्या नींद नहीं आ रही? शत्रुघ्न कहाँ है? श्रुतिकीर्ति की आँखें…

“अंहकार की सजा” बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज |

एक बहुत ही घना जंगल था। उस जंगल में एक आम और एक पीपल का भी पेड़ था। एक बार मधुमक्‍खी का झुण्‍ड उस जंगल में रहने आया, लेकिन उन मधुमक्‍खी के झुण्‍ड को रहने के लिए एक घना पेड़ चाहिए था। रानी मधुमक्‍खी की नजर एक पीपल के पेड़ पर पड़ी तो रानी मधुमक्‍खी ने पीपल के पेड़ से कहा, हे पीपल भाई, क्‍या में आपके इस घने पेड़ की एक शाखा पर अपने परिवार का छत्‍ता बना लु ❓ पीपल को कोई परेशान करे यह पीपल को पसंद…

“भगवत्प्रेम की प्राप्ति का साधन” भागवत मधुकर बाल संत श्री मणिराम दास जी महाराज

श्रीभगवान् के प्रेमकी प्राप्ति बहुत ही दुर्लभ होनेपर भी भगवत्कृपासे उसीको हो सकती है और सहज ही हो सकती है, जो वास्तवमें उसे चाहता है। चाहता वही है, जो प्रेमके मूल्यमें सर्वस्व अर्पण करनेको तैयार है—यद्यपि भगवत्प्रेम किसी कीमतपर नहीं मिलता; क्योंकि वह अमूल्य है। ‘कैवल्य’ की कीमत भी उसे खरीदनेके लिये पर्याप्त नहीं है। यों कहना चाहिये कि भगवत्प्रेम खरीदा ही नहीं जा सकता। वह उसीको मिलता है, जिसको कृपा करके भगवान् देते हैं और देते उसको हैं जो सर्वस्व उनके चरणोंपर न्यौछावर करके भी अपनेको प्रेमका अपात्र मानता…

रुक्मणी को राधा के प्रेम का प्रमाण कैसे मिला” | संत श्री मणिरामदास जी महाराज |

एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद, श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया। दूध ज्यादा गरम होने के कारण श्री कृष्ण के हृदय में लगा और उनके श्रीमुख से निकला- “हे राधे” सुनते ही रुक्मणी बोली- प्रभु! ऐसा क्या है राधा जी में जो आपकी हर सांस पर उनका ही नाम होता है। मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूं। फिर भी आप हमें नहीं पुकारते।श्री कृष्ण ने कहा -देवी! आप कभी राधा से मिली हैं और मंद मंद मुस्काने लगे। अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके…

बाँस की लकड़ी को क्यों नहीं जलाया जाता | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज

हम अक्सर शुभ (जैसे हवन अथवा पूजन) और अशुभ (दाह संस्कार) कामों के लिए विभिन्न प्रकार के लकड़ियों को जलाने में प्रयोग करते है लेकिन क्या आपने कभी किसी काम के दौरान बांस की लकड़ी को जलता हुआ देखा है। नहीं ना? भारतीय संस्कृति, परंपरा और धार्मिक महत्व के अनुसार, ‘हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है। यहां तक की हम अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग तो करते है लेकिन उसे चिता में जलाते नहीं।’ हिन्दू धर्मानुसार बांस जलाने से पितृ दोष…

जानें कैसे हुआ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म | बाल संत श्री मणिराम दास जी महराज

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। इसी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने…

जानें जन्माष्टमी को दो दिन मानने का कारण और गृहस्थों को कब मनाना चाहिए इस बार जन्माष्टमी |

प्रायः हर वर्ष हम सभी सुनते हैं कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। मैं आपको बताता हूं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शास्त्र अनुसार कब मनाई जानी चाहिए? आखिर इस महत्वपूर्ण पर्व के दो दिन होने का क्या कारण होता है? 2020 में कब होगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी? पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में हुआ था जब रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न था। जन्माष्टमी को मनाने वाले दो समुदाय अलग अलग तिथियों में श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव मनाते…

कर्म और प्रारब्ध” का रहस्य | मणिराम दास जी महराज

काशी में एक विद्वान ज्योतिषी रहते थे। एक दिन काशी नरेश अपनी कोई समस्या लेकर उनके घर पर पहुँचे। ज्योतिषी कहीं बाहर गये थे, उसने उनकी धर्मपत्नी से पूछाः “देवीजी! आपके पति ज्योतिषी जी महाराज कहाँ गये हैं?” तब उस स्त्री ने अपने मुख से अपने ही पति को अयोग्य, असह्य दुर्वचन कहे, जिनको सुनकर राजा हैरान हुए और मन ही मन कहने लगे कि “मैं तो अपनी समस्या का समाधान लेकर आया था, परंतु अब इनकी समस्या के सामने तो मेरी समस्या छोटी लगने लगी है ।तो पहले तो…