वक्फ संशोधन विधेयक 2025 बना कानून: क्या बदल जाएगा अब? जानिए पूरी जानकारी, विवाद और असर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिससे यह अब एक पूर्ण कानून बन गया है। इससे पहले यह विधेयक संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – से पारित हो चुका था। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता, और उत्तराधिकार अधिकारों से जुड़ा हुआ है और पूरे देश में इस पर व्यापक बहस छिड़ी हुई है।
📚 स्रोत:
🔗 Aaj Tak News – वक्फ संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के प्रमुख प्रावधान
1. गैर-मुस्लिम सदस्यों को स्थान
इस कानून के तहत अब केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल किए जा सकेंगे। सरकार का तर्क है कि इससे विविधता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और वक्फ प्रबंधन में सुधार होगा।
2. विवादित संपत्तियों पर सरकार का अधिकार
अब विवादित वक्फ संपत्तियों का स्वामित्व तय करने का अधिकार सरकार को मिल गया है। इससे उम्मीद की जा रही है कि लंबित संपत्ति विवादों का जल्दी निपटारा हो सकेगा।
🔗 Observer Voice – वक्फ संपत्ति विवाद और विधेयक
3. महिला उत्तराधिकार को मिला बल
यह संशोधन महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों को मजबूती प्रदान करता है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं को अब वक्फ संपत्तियों पर न्यायपूर्ण अधिकार मिलेगा।
4. डिजिटल और तकनीकी प्रबंधन
वक्फ बोर्ड को अब तकनीकी और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने की दिशा में बढ़ावा दिया गया है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि प्रॉपर्टी मैनेजमेंट भी अधिक सटीक और त्वरित हो सकेगा।
समर्थन और विरोध: दो ध्रुवीय राय
सरकार का पक्ष
सरकार का दावा है कि इस कानून से वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार कम होगा और प्रशासनिक सुधार आएंगे। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे संपत्तियों का कुशल प्रबंधन संभव होगा और जनहित में पारदर्शिता लाना संभव होगा।
मुस्लिम संगठनों और विपक्ष का विरोध
इस विधेयक के प्रावधानों को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद और कई अन्य मुस्लिम संगठन विरोध में खड़े हैं। उनका मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर करता है।
उनका तर्क है कि वक्फ संपत्तियाँ धार्मिक और समुदाय आधारित हैं, जिनका प्रबंधन सिर्फ मुस्लिमों के हाथ में रहना चाहिए। सरकार द्वारा गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति और सरकारी नियंत्रण को वे धार्मिक हस्तक्षेप मानते हैं।
🔗 The Wire – मुस्लिम बोर्ड का विरोध
संसद में विधेयक की स्थिति
- लोकसभा में यह विधेयक 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित हुआ, जिसमें 288 सांसदों ने समर्थन और 232 ने विरोध किया।
- राज्यसभा में इसे 128 वोटों के समर्थन और 95 विरोध के बीच मंजूरी मिली।
🔗 NDTV – संसद में वक्फ विधेयक पास
राजनीतिक मतभेद और आगे की राह
विधेयक के पास होते ही भाजपा और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। जहां भाजपा इसे सुधारवादी कदम मानती है, वहीं कांग्रेस, AIMIM, तृणमूल कांग्रेस और AAP जैसे दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया है।
नया कानून, नई बहस
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025, जो अब एक कानून बन चुका है, भारत में मुस्लिम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा परिवर्तन है। इससे जुड़ी बहसें आने वाले दिनों में और भी गहरी होंगी।
यह देखना रोचक होगा कि यह कानून वास्तविक सुधार लाने में कितना सफल होता है या यह सिर्फ एक राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनकर रह जाता है।
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