राम नवमी पर वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने की राम आरती, दिया एकता का संदेश

राम नवमी पर वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने की राम आरती, दिया एकता का संदेश


✨ राम नवमी पर मुस्लिम महिलाओं की राम आरती: एक मिसाल बनी वाराणसी

वाराणसी, जिसे भगवान शिव की नगरी और सनातन परंपराओं की राजधानी कहा जाता है, ने इस बार राम नवमी के मौके पर ऐसा दृश्य देखा जो भारतीय सांप्रदायिक सौहार्द की जीवंत मिसाल बन गया। 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी के दिन मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने सार्वजनिक स्थल पर भगवान राम की आरती कर एकजुटता और भाईचारे का संदेश दिया।

🌸 जब राम के जयकारों में गूंजा आपसी भाईचारा

काशी के चेतगंज क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं ने न केवल भगवा वस्त्र धारण किए, बल्कि दीप जलाकर आरती की थाली से भगवान राम की आरती की। इस दौरान “जय श्री राम” के जयघोष और भक्ति संगीत की ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो गया। यह आयोजन किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक मकसद से नहीं, बल्कि देश में एकता, प्रेम और सहयोग का प्रतीक बनकर सामने आया।

🔗 सांप्रदायिक सौहार्द पर विस्तार से पढ़ें


📖 आयोजन के पीछे की प्रेरणा

इस आयोजन की पहल सामाजिक कार्यकर्ता शाहीन बेगम और सायरा परवीन जैसी महिलाओं ने की, जिन्होंने बताया कि इस समय देश में कई जगह नफरत और अलगाव की बातें हो रही हैं, ऐसे में वे चाहती थीं कि काशी से एक ऐसा संदेश जाए जो दिलों को जोड़ने वाला हो।

सायरा परवीन ने कहा, “राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और हर धर्म के लोग उनके आदर्शों से सीख सकते हैं।”

यह पहल यह दिखाती है कि भारत में विविधता में एकता सिर्फ एक नारा नहीं बल्कि जीने की परंपरा है।


🎤 स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के लोग भी बड़ी संख्या में जुटे। वहाँ मौजूद एक स्थानीय नागरिक ने कहा, “आज काशी में जो हुआ वो बहुत बड़ा संदेश है, खासकर उन लोगों के लिए जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटना चाहते हैं।”

स्थानीय प्रशासन ने भी इस शांतिपूर्ण और सकारात्मक पहल की सराहना की।

🔗 धार्मिक सहिष्णुता के उदाहरण


🔮 आज के समय में इस पहल का महत्व

देश में अक्सर धार्मिक पहचान के नाम पर तनाव और हिंसा की खबरें सामने आती हैं। ऐसे में इस प्रकार की घटनाएं उस सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करती हैं जो भारत को दुनिया के सबसे विविध लेकिन एकजुट देशों में गिनती कराता है।

राम नवमी जैसे पर्वों को सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और साझा विरासत के प्रतीक रूप में देखना चाहिए।


🌼 आगे की योजना

इस आयोजन से प्रेरित होकर आयोजक महिलाएं आने वाले पर्वों जैसे – जन्माष्टमी, दीपावली और ईद के मौके पर भी इसी तरह के एकजुटता कार्यक्रम करने की योजना बना रही हैं।

उनका उद्देश्य साफ है — “धर्म के रास्ते पर चलो, लेकिन नफरत नहीं, सिर्फ मोहब्बत फैलाओ।”

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🪔 निष्कर्ष: एक नई शुरुआत

राम नवमी 2025 का यह दृश्य इतिहास के पन्नों में दर्ज होने योग्य है। यह सिर्फ एक आरती नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत थी। मुस्लिम महिलाओं द्वारा राम आरती करना यह दर्शाता है कि अगर नीयत साफ हो और उद्देश्य सच्चा हो तो धर्मों के बीच दीवारें गिर सकती हैं और पुल बन सकते हैं।

यह पहल सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणा है कि धर्म को विभाजन का नहीं, बल्कि जोड़ने का जरिया बनाया जाए।


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