विदेशों में गंगाजल की बढ़ती मांग: जर्मनी भेजी गई पहली खेप, नागपुर से 50,000 बोतलों का ऑर्डर
🌊 गंगाजल की वैश्विक मांग: विदेशों तक पहुंचा पवित्र संगम जल
प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का त्रिवेणी संगम होता है, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र है। यहां आयोजित महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराता है। हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ 2025 के बाद, गंगाजल की मांग में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है।
अब गंगाजल सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे देशों में भी श्रद्धा का प्रतीक बन गया है।
🇩🇪 जर्मनी को भेजी गई पहली खेप: 1000 बोतलों में त्रिवेणी का जल
गंगा जल की मांग को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में प्रयागराज से पहली बार 1000 कांच की बोतलों में गंगाजल जर्मनी भेजा गया। यह पहल राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत नारी शक्ति महिला प्रेरणा समिति द्वारा की गई।
250 मिली लीटर की इन बोतलों को पैक कर India Post के सहयोग से विदेश भेजा गया। यह कार्य श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी की अगुवाई में संपन्न हुआ।
🛒 नागपुर से मिला 50,000 बोतलों का ऑर्डर
गंगाजल की बढ़ती लोकप्रियता का एक बड़ा उदाहरण नागपुर में देखने को मिला, जहां की शिव शंभू ग्रुप सोसायटी ने 500ml की 50,000 बोतलों का ऑर्डर दिया है। यह जल न केवल पूजा-पाठ में उपयोग होगा, बल्कि लोग इसे शुद्ध जल के रूप में भी अपने पास रखना चाहते हैं।
🚚 असम से टैंकर द्वारा गंगा जल की आपूर्ति
गुवाहाटी स्थित परम शिवम शिव मंदिर योगाश्रम के संत राजा रामदास कुछ दिन पूर्व विशेष टैंकर लेकर त्रिवेणी संगम आए थे। उन्होंने संगम से गंगाजल भरवाने के लिए प्रयागराज के Chief Fire Officer प्रमोद शर्मा से सहयोग मांगा। अग्निशमन विभाग ने उन्हें पूरी सहायता प्रदान की और गंगाजल को टैंकरों में भरकर असम के लिए रवाना किया गया।
इससे पहले विभाग ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में भी टैंकरों द्वारा गंगाजल पहुंचाया था।
📿 गंगाजल का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
गंगाजल को सनातन धर्म में अमृत के समान माना गया है। इसकी विशेषता है कि यह वर्षों तक खराब नहीं होता, और यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा भी शुद्धता और संरक्षण के प्रतीक के रूप में मान्यता दी गई है।
गंगाजल में पाए जाने वाले जीवाणुरोधी गुण इसे अद्वितीय बनाते हैं। यही कारण है कि विश्व के कोने-कोने में इसके प्रति आस्था और सम्मान लगातार बढ़ रहा है।
🛐 त्रिवेणी संगम: आस्था, इतिहास और पहचान
त्रिवेणी संगम वह स्थल है, जहां देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति हेतु संघर्ष हुआ था। यह जल, जो त्रिवेणी संगम में बहता है, संस्कृति और आत्मा का प्रतीक है। महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई, जो अपने आप में एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड योग्य संख्या मानी जा रही है।
भारत की आत्मा अब वैश्विक पहचान बन रही है
गंगाजल की वैश्विक मांग यह दर्शाती है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहरें अब सॉफ्ट पावर के रूप में उभर रही हैं। प्रयागराज से लेकर जर्मनी तक, गंगाजल अब सिर्फ एक धार्मिक वस्तु नहीं, बल्कि भारतीय पहचान और आस्था का प्रतीक बन चुका है।
इस अभियान से जुड़े हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि हमारी परंपराएं और पवित्र नदियां अब दुनिया भर में श्रद्धा और सम्मान के साथ देखी जा रही हैं।
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