रीवा में अस्पताल का घोटाला: मृत महिला को जीवित बताकर ठगे लाखों रुपये!
घटना का पूरा विवरण
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला की मौत के बाद भी निजी अस्पताल ने उसे जीवित बताकर परिजनों से लाखों रुपये वसूलने की कोशिश की।
यह मामला राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति और निजी अस्पतालों में मुनाफाखोरी को उजागर करता है।
कैसे हुई दुर्घटना?
जानकारी के मुताबिक, गुढ़ निवासी ममता गुप्ता एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। यह घटना 20 मार्च 2025 को सिरमौर चौराहे के पास हुई, जब एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी।
स्थानीय लोग और परिजन तुरंत उन्हें रीवा के संजय गांधी अस्पताल (SGMH) लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया।
निजी अस्पताल का हैरान करने वाला दावा
परिजन दुखी थे लेकिन अंतिम संस्कार से पहले उन्होंने एक बार और जांच करवाने का सोचा और ममता को मिनर्वा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले गए।
यहां डॉक्टरों ने दावा किया कि ममता जिंदा हैं और उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है।
इसके बाद, अस्पताल प्रशासन ने इलाज के लिए भारी-भरकम फीस वसूलनी शुरू कर दी।
कैसे वसूले गए लाखों रुपये?
- सबसे पहले 90,000 रुपये एडवांस जमा करने को कहा गया।
- फिर 70,000 रुपये की दवाइयां खरीदने के लिए कहा गया।
- 17,000 रुपये एमआरआई के लिए मांगे गए।
- बाद में, 2.5 लाख रुपये ब्रेन सर्जरी के नाम पर मांगे गए।
- फिर 20 से 25 लाख रुपये पेट और ब्रेन सर्जरी के लिए जमा करने को कहा गया।
परिजन इलाज के लिए राशि जुटाने में लगे रहे, लेकिन संदेह बढ़ता जा रहा था।
सच्चाई सामने आने पर मचा हंगामा
जब परिजनों ने अन्य डॉक्टरों से राय ली, तो उन्हें शक हुआ कि महिला वास्तव में मृत हो चुकी थी और निजी अस्पताल केवल पैसे ऐंठने के लिए इलाज का नाटक कर रहा था।
- परिजनों ने जब अस्पताल प्रशासन से सख्ती से सवाल किया, तो वे घबरा गए।
- इस बीच, स्थानीय समाज के लोग और कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे और अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।
- जब विवाद बढ़ा, तो पुलिस को मौके पर बुलाया गया।
आखिरकार, अस्पताल प्रशासन ने इलाज बंद कर दिया और महिला के शव को बाहर कर दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि जिस महिला को शासकीय चिकित्सकों ने कहा ,नो मोर; मिनर्वा अस्पताल ने भर्ती कर जमा कराए लाखों रुपए
वीडियो लिंक: VIRAT 24 NEWS
सरकारी और निजी अस्पतालों की पोल खुली
यह घटना दो बड़े मुद्दों को उजागर करती है—
1. सरकारी अस्पताल की लापरवाही
संजय गांधी अस्पताल ने मृत घोषित करने के बाद कोई भी आगे की प्रक्रिया नहीं की और परिजनों को पूरी स्थिति नहीं समझाई।
2. निजी अस्पतालों की पैसे कमाने की रणनीति
मिनर्वा अस्पताल ने मृत महिला को जीवित बताकर लाखों रुपये ठगने की कोशिश की।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत
रीवा की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि—
सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता और संवेदनशीलता की कमी है।
निजी अस्पताल पैसे कमाने के लिए मरीजों और परिजनों की भावनाओं से खेलते हैं।
स्वास्थ्य विभाग को इस तरह के मामलों की गहराई से जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
यह घटना केवल एक महिला की मौत से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य सिस्टम की सच्चाई उजागर करती है।
अगर सरकारी और निजी अस्पतालों की ऐसी लापरवाहियां जारी रहीं, तो आम जनता को इंसाफ मिलना मुश्किल हो जाएगा।
सरकार को चाहिए कि वह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए और ऐसे अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रखे।
यह भी पढ़ें: