क्राउन प्रिंस से वार्ता, शांति प्रयासों पर विस्तृत चर्चा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों पर गंभीर चर्चा हुई।
बैठक के बाद जेलेंस्की ने कहा, “क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ हमारी चर्चा सकारात्मक रही। उन्होंने वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। हमने द्विपक्षीय सहयोग, वैश्विक सुरक्षा और निवेश संबंधों पर विचार-विमर्श किया।”
सऊदी अरब ने भी स्पष्ट किया कि वे क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अमेरिका-यूक्रेन वार्ता से पहले बढ़ी कूटनीतिक हलचल
सऊदी अरब में जेलेंस्की की यह यात्रा 11 मार्च को होने वाली यूक्रेन-अमेरिका शांति वार्ता से पहले कूटनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। जेद्दा में होने वाली इस वार्ता में अमेरिका, सऊदी अरब, और यूक्रेनी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “यह आवश्यक है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए गंभीर और स्पष्ट बातचीत हो। सऊदी अरब का सहयोग इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब की भूमिका इस वार्ता में मध्यस्थता के रूप में अहम हो सकती है।
ट्रंप के प्रतिनिधियों से संभावित मुलाकात की अटकलें
खबरें आ रही हैं कि इस दौरान जेलेंस्की, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर सकते हैं। ट्रंप के साथ जेलेंस्की की पिछली तीखी बहस के बाद यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि ट्रंप के प्रतिनिधि शांति प्रस्ताव में किसी भी तरह का सहयोग करते हैं, तो यह वार्ता के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित प्रभाव
यदि यह वार्ता सफल रहती है, तो इससे न केवल रूस और यूक्रेन के संबंधों में सुधार आ सकता है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सऊदी अरब की मध्यस्थता से तेल उत्पादन और निर्यात पर भी महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।
इस बैठक से यह भी स्पष्ट होता है कि सऊदी अरब वैश्विक राजनीति में एक सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष
सऊदी अरब में जेलेंस्की और क्राउन प्रिंस की बैठक और आगामी शांति वार्ता रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। अब सबकी नजरें 11 मार्च को जेद्दा में होने वाली बातचीत पर टिकी हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
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