नेपाल में सीएम योगी के पोस्टर लहराने पर विवाद, पीएम ओली की प्रतिक्रिया
नेपाल की राजनीति में उठे सवाल: राजशाही समर्थक रैली में सीएम योगी की तस्वीर पर विवाद
राजशाही समर्थकों की रैली में सीएम योगी का पोस्टर: विवाद की शुरुआत
नेपाल में राजशाही के पुनः स्थापना की मांग को लेकर 9 मार्च को पोखरा में एक भव्य रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत के साथ-साथ नेपाल के राष्ट्रीय ध्वज और तस्वीरों को prominently प्रदर्शित किया गया। लेकिन इस रैली में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब कुछ समर्थकों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराए।
रैली के दौरान कई समर्थक मोटरसाइकिलों पर सीएम योगी की तस्वीरें लेकर निकले, जिससे नेपाल की राजनीतिक हलचल तेज हो गई। इस घटना ने ना केवल नेपाल में राजनीतिक बहस को जन्म दिया, बल्कि भारत-नेपाल संबंधों पर भी सवाल उठाए।
विपक्ष की आलोचना और आरपीपी का बयान
नेपाल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने इस घटना की तीखी आलोचना की। उनका कहना है कि विदेशी नेताओं की तस्वीरों का उपयोग नेपाल की राजनीतिक रैलियों में अनुचित है।
वहीं, रैली का आयोजन करने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने इस मुद्दे से खुद को अलग करते हुए इसे विपक्ष की साजिश करार दिया। आरपीपी नेताओं का कहना है कि उनकी रैली का उद्देश्य केवल नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को मजबूती देना था और किसी विदेशी नेता का इसमें कोई संबंध नहीं है।
पीएम ओली की प्रतिक्रिया: कड़ा संदेश
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए काठमांडू में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का उपयोग नहीं करते हैं।” हालांकि, उन्होंने अपने बयान में सीएम योगी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके संकेत स्पष्ट थे।
पीएम ओली ने इस घटना को लेकर असंतोष जताया और कहा कि नेपाल की राजनीति में ऐसे प्रयास अनुचित हैं। उनका बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि नेपाल में बाहरी राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर गंभीरता से सोचा जा रहा है।
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह और सीएम योगी की मुलाकात का संदर्भ
गौरतलब है कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने जनवरी 2025 में उत्तर प्रदेश की यात्रा की थी, जहां उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। इस मुलाकात को दोनों देशों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण माना गया था।
अब इस घटना को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और नेपाल में कई राजनीतिक दल इसे लेकर खुलकर चर्चा कर रहे हैं।
निष्कर्ष
नेपाल में सीएम योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराया जाना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। जहां विपक्ष ने इसे अनुचित बताया, वहीं पीएम ओली ने स्पष्ट कर दिया कि नेपाल की राजनीतिक रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का कोई स्थान नहीं है। यह घटना नेपाल की राजनीति में बाहरी प्रभावों को लेकर नई बहस को जन्म दे रही है।
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