किसान आंदोलन: चंडीगढ़ बॉर्डर सील, गिरफ्तारियों के खिलाफ पंजाब में जोरदार प्रदर्शन
सरकार और किसानों के बीच टकराव जारी, हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई की मांग तेज
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बुधवार से एक सप्ताह तक चलने वाले धरने की घोषणा की है। किसानों ने चंडीगढ़ कूच का ऐलान किया, लेकिन पंजाब पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया।
➡️ कई किसानों को हिरासत में लिया गया, जिसके विरोध में अमृतसर, मोगा, लुधियाना, फिरोजपुर सहित पंजाब के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
इस बीच, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को “धरनों का राज्य” बना दिया गया है, जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने किसानों को चेतावनी दी कि सरकार कोई ठोस कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
चंडीगढ़ में हाई अलर्ट, बॉर्डर सील
✔️ प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के तहत चंडीगढ़ की सीमाएं सील कर दी हैं।
✔️ शहर के विभिन्न प्रवेश द्वारों पर बैरिकेडिंग की गई और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
✔️ प्रदर्शनकारियों को सेक्टर 34 में धरने की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद किसानों ने सड़कों पर ही धरना देना शुरू कर दिया।
➡️ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि पुलिस किसानों को जबरन रोक रही है। पंजाब के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है।
गिरफ्तारियों के खिलाफ पंजाब में उग्र प्रदर्शन
➡️ कई किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है।
किसान संगठनों का दावा है कि पुलिस ने कई नेताओं के घरों पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार किया।
✔️ संयुक्त किसान मोर्चा ने गिरफ्तार नेताओं की लिस्ट जारी की:
- बलबीर सिंह राजेवाल
- रुलदू सिंह मनसा
- गुरुमीत सिंह भाटीवाल
- नछत्तर सिंह जैतों
- वीरपाल सिंह ढिल्लों
- बिंदर सिंह गोलेवाल
- गुरनाम भीखी
- हरमेश सिंह
➡️ अमृतसर, मोगा, लुधियाना और पटियाला में किसानों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
क्रांतिकारी किसान यूनियन (मोगा) के अध्यक्ष जतिंदर सिंह ने कहा कि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन से रोकना लोकतंत्र की हत्या है।
भगवंत मान सरकार पर विपक्ष का हमला
✔️ पंजाब विधानसभा में विपक्षी दलों ने भगवंत मान सरकार को घेरा।
✔️ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा,
“भगवंत मान शासन करने के योग्य नहीं हैं, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।”
✔️ मुख्यमंत्री मान ने जवाब दिया:
“अगर धरना ही देना था, तो फिर बैठक क्यों की गई? सरकार बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन आंदोलन के नाम पर आम जनता को परेशान नहीं किया जा सकता।”
किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
✔️ संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के सामने चार प्रमुख मांगें रखीं:
1️⃣ किसानों के ऋण निपटान के लिए कानून बनाना।
2️⃣ हर खेत तक नहर का पानी पहुंचाना।
3️⃣ गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को शीघ्र पूरा करना।
4️⃣ भारतमाला परियोजना के तहत जबरन भूमि अधिग्रहण रोकना।
➡️ संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि मांगे पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
➡️ वहीं, सरकार ने भी साफ कर दिया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।
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