क्या है अमेरिका की असली रणनीति ! पाकिस्तान के लिए F-16, भारत के लिए F-35 !

दक्षिण एशिया में अमेरिका का सैन्य संतुलन बनाने का प्रयास

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दो महत्वपूर्ण फैसले लेकर दक्षिण एशिया की सुरक्षा नीति में नया मोड़ दिया है। एक ओर, उन्होंने पाकिस्तान के F-16 फाइटर जेट्स के रखरखाव के लिए 397 मिलियन डॉलर (लगभग 3460 करोड़ रुपये) की सहायता को मंजूरी दी है, वहीं दूसरी ओर, भारत को उन्नत F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स की पेशकश की है। यह दोनों फैसले भारत और पाकिस्तान के सैन्य संतुलन को किस दिशा में प्रभावित करेंगे, यह अब वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।

पाकिस्तान को F-16 अपग्रेड पैकेज – भारत के लिए सुरक्षा चिंता

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली इस सैन्य सहायता को “रखरखाव और परिचालन समर्थन” करार दिया है और दावा किया है कि इससे पाकिस्तान की युद्धक क्षमता में कोई नई वृद्धि नहीं होगी। लेकिन भारत के लिए यह निर्णय चिंता का विषय है, क्योंकि इतिहास में पाकिस्तान द्वारा F-16 विमानों का भारत के खिलाफ उपयोग किया जा चुका है।

F-16 और बालाकोट एयरस्ट्राइक का संदर्भ
भारत ने 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने अगले ही दिन F-16 विमानों को भारतीय सीमा के भीतर तैनात किया था। भारत का दावा है कि उसने उस दौरान एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था, लेकिन इस्लामाबाद ने इस आरोप से इनकार किया। अमेरिका ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह अपने समझौतों का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। अब, 2025 में ट्रंप प्रशासन का पाकिस्तान को F-16 सहायता पैकेज देना, भारत के लिए एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है।

भारत के लिए F-35 प्रस्ताव – रणनीतिक बदलाव या सामरिक संतुलन?
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को F-16 की सहायता देने के साथ ही भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स की पेशकश की है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि पहले अमेरिका ने भारत को F-35 देने से इंकार कर दिया था, खासकर तब जब भारत ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35: एक गेम-चेंजर लेकिन चुनौतियों के साथ
F-35 फाइटर जेट दुनिया के सबसे उन्नत स्टेल्थ फाइटर जेट्स में से एक है। लेकिन भारत के लिए इसे अपनाना आसान नहीं होगा:

  • उच्च लागत: एक F-35A की कीमत लगभग 100 मिलियन डॉलर (871 करोड़ रुपये) है, और इसकी मेंटेनेंस लागत भी बेहद ज्यादा है।
  • तकनीकी निर्भरता: अमेरिका भारत को इस फाइटर जेट के मॉडिफिकेशन की अनुमति नहीं देगा, जिससे भारत की स्वायत्तता प्रभावित होगी।
  • स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजना पर प्रभाव: भारत की उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना पहले से ही विकास के चरण में है और 2030 के दशक के मध्य तक शुरू होने की उम्मीद है। अगर भारत F-35 को अपनाता है, तो AMCA परियोजना पर प्रभाव पड़ सकता है।

पाकिस्तान के F-16 की निगरानी – अमेरिका की शर्तें और हकीकत
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि पाकिस्तान के F-16 विमानों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए कुछ प्रमुख शर्तें रखी गई हैं:

  • तकनीकी सुरक्षा दल (TST): अमेरिकी वायुसेना के अधिकारी पाकिस्तान में रहकर F-16 की निगरानी करेंगे।
  • बेस प्रतिबंध: पाकिस्तान को अपने F-16 और चीन-निर्मित JF-17 विमानों को अलग-अलग बेस पर रखना होगा।
  • तैनाती सीमाएं: F-16 विमान केवल शाहबाज (जैकबाबाद) और मुशफ (सरगोधा) एयरबेस पर ही तैनात किए जा सकते हैं।
  • मिसाइल नियंत्रण: उन्नत AMRAAM मिसाइलों को उच्च-सुरक्षा तिजोरियों में रखा जाएगा।
  • संचालन अनुमोदन: किसी भी अंतरराष्ट्रीय तैनाती के लिए अमेरिका की मंजूरी आवश्यक होगी।

हालांकि, भारत पहले भी देख चुका है कि पाकिस्तान ने इन शर्तों को तोड़ा है, जैसे कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद F-16 का उपयोग करना। ऐसे में यह देखना होगा कि अमेरिका इन शर्तों का पालन करवाने में कितना प्रभावी रहता है।

अमेरिकी विदेश नीति: पाकिस्तान अपवाद क्यों?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेशी सहायता पर 90 दिनों की रोक लगाने की घोषणा की थी। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके प्रशासन ने पाकिस्तान के लिए 397 मिलियन डॉलर का अपवाद मंजूर कर दिया। यह फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि 2018 में अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने पाकिस्तान की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी और उसे आतंकवादियों को पनाह देने के लिए दोषी ठहराया था।

अब ट्रंप प्रशासन इस मदद को “आतंकवाद विरोधी और विद्रोह निरोधक अभियानों” के नाम पर सही ठहराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन तथ्य यह है कि यही F-16 विमान पहले भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जा चुके हैं।

भारत के लिए अगला कदम: F-35 स्वीकार करे या स्वदेशी सैन्य विकास पर ध्यान दे?
अमेरिका के इस पावरप्ले के बीच भारत के पास दो प्रमुख विकल्प हैं:

  1. F-35 को स्वीकार कर अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी मजबूत करे – इससे भारत की हवाई ताकत कई गुना बढ़ सकती है, लेकिन इससे भारत की स्वायत्तता और रक्षा तकनीकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
  2. स्वदेशी रक्षा क्षमताओं पर जोर दे – भारत पहले ही अपने AMCA स्टेल्थ फाइटर जेट और तेजस मार्क-2 जैसे कार्यक्रमों पर काम कर रहा है। ऐसे में F-35 खरीदने से ये परियोजनाएं धीमी हो सकती हैं।

क्या डोनाल्ड ट्रंप का यह पावरप्ले भारत के लिए फायदेमंद है?
डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति हमेशा से ही अप्रत्याशित रही है। पाकिस्तान को F-16 की सहायता और भारत को F-35 की पेशकश, दोनों ही फैसले यह दर्शाते हैं कि अमेरिका दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका को मजबूती से बनाए रखना चाहता है।

अब यह भारत पर निर्भर करता है कि वह इस नए संतुलन को कैसे देखता है – क्या यह एक रणनीतिक अवसर है, या एक ऐसी स्थिति जहां उसे अपने दीर्घकालिक सैन्य लक्ष्यों को पुनर्विचार करना होगा?

भारत के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा, लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा भारत की रक्षा नीति और विदेश नीति के केंद्र में रहेगा।

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