सोमवार को आंध्र प्रदेश स्थिति भगवान तिरुपति बालजी के मंदिर में प्रसाद के लड्डू में घी के बदले मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की रिपोर्ट आने के बाद से देश भर में सियासी धर्म युद्ध गहरा गया है।
प्रसाद बनाने वाली कंपनी को कारण बताओं नोटिस जारी करने के साथ ही साथ घी के शुद्धता की जांच हेतु स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन सरकारी खाद्य नियामक प्राधिकरण, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में घटिया उत्पादन और उनका उपयोग किए जाने को लेकर भी नोटिस जारी किया है।
भक्तों के प्रसाद को लेकर जो श्रद्धा है, उसका हनन हुआ है; साथ ही विश्वास घात भी हुआ है , दुनिया भर से काफी लोग भारी तादाद में आते हैं, भगवान तिरुपति के दर्शन और मात्र उनके प्रसाद पाने के लिए।
भगवान बालाजी का तिरुपति मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है और लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक भी । तिरुपति मंदिर में न केवल भारत से बल्कि पूरे विश्व से भक्त अपनी कई मन्नतों के पूरा होने पर या पूरे होने की पूरी आशा के साथ आते हैं और भगवान तिरुपति बालाजी जी के धाम आकार भक्त बस प्रसाद प्राप्त होने को ही भगवान तिरुपति का आशीर्वाद मान लेते हैं; ऐसे में तिरुपति जी के प्रसाद के लड्डू में जानवर का फैट पाये जाने की बात सुनकर भी सनातन भक्तों की आस्था को भारी चोट पहुंची है, गौर करने वाली बात यह है की इस जघन्य दुष्कृत्य की क्या वजह रही होगी, इस का जवाब मिलना जरूरी है,
क्या ये कोई नया एजेंडा है या हिंदू धर्म को भ्रष्ट करने का नया तरीका निकाला गया है, या फिर कोई घोटाला किया जा रहा है?
अब देखने वाली बात यह है की इस घटना पर खाद्य मंत्री क्या एक्शन लेते हैं, घी की रिपोर्ट का इंतजार रहेगा, और आगे चल कर लोगों को और क्या सुनने के लिए मिलता है।