बुधवार को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद, तीन बार से मुख्यमंत्री रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां बीजेपी के पोस्टर से गायब हो गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री, जिन्हें हाल ही में रैलियों में अपना रुतबा खोते हुए देखा गया था, राज्य की राजनीति के मैदान में फिसलते दिखाई देते हैं। पटना के अलावा, पीएम दरभंगा और मुजफ्फरपुर को भी कवर करेंगे। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा में सोमवार को कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा एक जूता नीतीश की तरफ फैंक दिया गया, जब वह एक चुनावी सभा में अपना भाषण पूरा करने के बाद अपने हेलीकॉप्टर की ओर जा रहे थे।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि रैली में गड़बड़ी पैदा करने के आरोप में पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में ले लिया।
सकरा घटना नीतीश ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपनी रैलियों के दौरान कई विरोधों में से एक है। कई जगहों पर नितीश अपना आपा खो बैठ और प्रदर्शनकारियों पर “राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की ओर से अभिनय” करने का आरोप लगाया और ये भी कहते दिखे कि किसी को भी उनकी सत्ता में परेशान नहीं किया गया था, भले ही वे नीतीश को वोट नहीं देते थे।
नीतीश के लिए सत्ता विरोधी कारक बहुत स्पष्ट है। सूत्रों ने कहा कि भाजपा-जेडीयू -हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (एस) -विकासशील इन्सान पार्टी गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारी पड़ रहा है।
नीतीश खिलाफ चलाए जा रहे सत्ता विरोधी रुझान से ध्यान हटाने के लिए, “राष्ट्रवाद”, “विकास” और “डबल इंजन विकास” के इर्द-गिर्द घूमती बीजेपी स्टाइल के चुनावों के उदार छिड़काव के साथ बीजेपी इन चुनावों को ‘मोदी बनाम बाकी’ बनाने की कोशिश कर रही है।
जानकारों का कहना है कि तथ्य यह है कि लोग विपक्ष से उतने ही नाराज हैं जितना कि सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ। अब देखना ये है कि मोदी की लोकप्रियता नीतीश के लिए 10 नवंबर को वरदान साबित हो पाती है कि नहीं।
न्यूज़ स्रोत पीटीआई