सप्तरंगी गगन तले बच्चे कर रहे हैं प्रयोग सारिका घारू की खुली प्रयोगशाला में
🎯महुये का वृक्ष बन रहा S ट्राइबल टोला टीचिंग की खुली प्रयोगशाला,
🎯टोले के तालाब की मदद से बच्चे समझ रहे हैं हैं जीवविज्ञान ट्राइबल टोला टीचिंग –
🎯विज्ञान गुनगुनाते हुये प्रयोग कर रहे हैं टोले के वनवासी बच्चे, प्रयोग के साथ विज्ञान के सिद्धांत को समझाने सारिका ने बनाई खुली प्रयोगशाला
चारदीवारों से घिरी , तालों और आलमारियो वाली प्रयोगशाला अब टोला मंजीरा में नदी , पहाड़, झरने किनारे सप्तरंगी गगन के तले किसी वृक्ष की झांव में पहुंच रही है। महुआ की छांव के साथ आंगन में डली छप्पर अब बिना दीवारों वाली प्रयोगशाला की छत बन रही है नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव के उत्प्रेरणा से नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू के नवाचार ट्राइबल टोला टीचिंग के माध्यम से टोलों में पहुंच कर पोस्टरों की मदद से विज्ञानशाला का आकर्षक रूप तैयार करती है। बच्चों के हाथ सेनिटाइज करके उनको मास्क और स्टूल देती है। बच्चें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इन स्टूल पर बैठ जाते हैं और शुरू हो जाती है ट्राइबल टोला टीचिंग की खुली प्रयोगशाला । खुले वातावरण की शीतल हवाओं में प्रयोग करने के पहले विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को मधुर गीत गाकर बच्चों को समझाती है। इसके बाद प्रत्येक बच्चा स्वयं अपने हाथों में सामग्री लेकर प्रयोग करता है । सारिका का कहना है कि ट्राइबल टोला टीचिंग की इस खुली प्रयोगशाला ने बच्चों के मन से प्रयोगशाला, इंस्ट्रूमेंट और केमिकल का भय समाप्त कर दिया है। वे शिक्षा विभाग के संभागीय एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में विभिन्न पहुंचविहीन ग्राम, टोलों में जाकर विज्ञान को रूचि के साथ पहुंचाने का एक प्रयास कर रही है।
क्या खास है इस खुली प्रयोगशाला में-
टोले के बच्चे लिटमस से नीबू के रस और साबुन के घोल को लेकर अम्ल और क्षार को पहचानते है और विभिन्न स्थानीय सामाग्री का पीएच मान मालूम करते है। प्रिज्य की मदद से गगन के प्रकाश के सप्तरंगी होने की पुष्टि करते हैं। लेजर लाइट की मदद से कांच के गुटके में प्रकाश के मुड़ने की अपवर्तन की घटना को समझाया जाता है। बच्चों को टोले के किसी तालाब से जलीय पौधा लेकर , कांच का गिलास, चुंगी और अन्य ग्राम में उपलब्ध उपकरणों को संयोजित करके प्रकाशसंश्लेषण क्रिया में आक्सीजन उत्पन्न होने के प्रयोग की कार्यविधि समझाई जाती है। प्रोजेक्ट के रूप में बच्चे अपना घरेलू सोलर कुकर बनाकर मूंगफली के दाने को हल्का सेकते हैं। कागज की फिरकी बनाकर बच्चे पवन चक्की का सिद्धांत समझते हैं।
कौन हैं सारिका घारू?
सारिका घारू राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मध्यप्रदेश में शिक्षिका हैं. सारिका अनेक वर्षों से विज्ञान के प्रचार-प्रसार और प्रयोग को विद्यार्थियों तक पहुंचाने के कार्य में जुटी रहती है. जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान के प्रति सेवाभावी कार्य के लिए वे अनेक मंचों से पुरुस्कृत भी हो चुकी है.
‘गुनगुनायें विज्ञान… बढ़ाये ज्ञान’ नामक वीडियो भी एल्बम भी हुआ लांच
अभी हाल में ही सारिका घारू का ‘गुनगुनायें विज्ञान… बढ़ाये ज्ञान’ नाम से वीडियो एल्बम लॉन्च किया है। इसमें 25 गीत हैं।
एल्बम को भारत सरकार के केंद्रीय विज्ञान सचिव आशुतोष शर्मा ने ऑनलाइन लोकार्पण किया। इसमें लोकसांस्कृतिक आधारित गीतों के माध्यम से बच्चों को आसान भाषा में साइंस सिखाने की कोशिश की गई है। इसमें ऐसे गीत हैं, जो बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें अद्भुत विज्ञान के बारे में भी बताया गया है। सारिका ने बताया कि इसे बच्चों तक पहुंचाने के लिए वे प्रशासन की मदद लेकर कार्यक्रम भी तैयार कर रही हैं। कोरोना पर भी पांच गीत एल्बम में कोरोना संक्रमण को रोकने में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के ‘YASH’ इयर ऑफ अवेयरनेस ऑन साइंस एंड हैलथ का संदेश देने वाले पांच जिंगल को भी शामिल किया गया है। इसमें बच्चों को कोरोना संक्रमण से लड़ने और बचने के लिए गीत के माध्यम से समझाया गया है।