मथुरा की एक अदालत ने शहर के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के बगल में स्थित 17 वीं सदी की एक मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। अदालत ने सभी हितधारकों को नोटिस जारी किया है, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और सुन्नी वक्फ बोर्ड को 18 नवंबर को अदालत में पेश होना है।
पिछले महीने, लोगों के एक समूह ने कटरा केशव देव मंदिर के 13.37 एकड़ परिसर के भीतर, भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर मस्जिद का दावा करते हुए, मथुरा में वरिष्ठ मंडल सिविल जज की अदालत में मुकदमा दायर किया। जब 30 सितंबर को वरिष्ठ डिवीजन सिविल जज ने उनकी याचिका खारिज कर दी, तो उन्होंने 12 अक्टूबर को जिला अदालत में “गलत और तथ्यों के खिलाफ” आदेश की अपील की। निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब करने के बाद, जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना ठाकुर ने शुक्रवार को अपील स्वीकार की।
दलील में कहा गया है कि अगर देवता की संपत्ति का दुरुपयोग किया गया है, तो उपासक को अपराधियों पर मुकदमा चलाने का हर अधिकार मिला है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अयोध्या मामले में पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया है कि एक उपासक को देवता की संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाल देवता भगवान श्री कृष्ण विराजमान की ओर से “अगले दोस्त” रंजना अग्निहोत्री और अन्य के माध्यम से ये मुकदमा दायर किया गया है।
गौरतलब हो कि अगला दोस्त (Next Friend) एक ऐसे व्यक्ति के लिए कानूनी शब्द है जो किसी ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जो सीधे तौर पर किसी मुकदमे को बनाए रखने में असमर्थ है।
याचिका में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। वादी ने मस्जिद प्रबंधन को “कटरा केशव देव मंदिर के क्षेत्र में भूमि पर अतिक्रमण कर उनके द्वारा उठाए गए निर्माण को हटाने” का निर्देश देने की अदालत से मांग की है।