165 साल बाद अद्भुत योग : 1 से 17 सितंबर तक श्राद्धपक्ष, नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू
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शारदीय नवरात्र की शुरुआत पितृपक्ष की समाप्ति के बाद हो जाती है। मगर इस बार 165 साल बाद अद्भुत योग बना है। पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद शारदीय नवरात्र शुरू नहीं होंगे, बल्कि एक महीने के बाद नवरात्रों की शुरुआत होगी। अश्विनी माह में श्राद्ध पक्ष 1 सितंबर से शुरू होगा, जो कि 17 सितंबर तक चलेगा। आमतौर पर पितृपक्ष के समाप्त होते ही अगले दिन नवरात्र आरंभ हो जाता है। पितृ अमावस्या के अगले दिन से ही प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ होना था, मगर इस बार नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर से होगी।
एक महीने के अंतर पर नवरात्रि 2020
श्राद्ध पक्ष में जो लोग अपने-अपने पितरों के लिए पिंड दान तर्पण हवन और अन्न दान समेत पितृ गायत्री अनुष्ठान कराते हैं। उन पर पितरों का आशीर्वाद रहता है। अश्विन मास में मलमास लगने के कारण 1 महीने के अंतर पर दुर्गा पूजन आरंभ होगा। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है।
17 सितंबर को श्राद्ध समाप्त
165 साल बाद लीप वर्ष और अधिक मास दोनों ही 1 साल में हो रहे हैं। चातुर्मास लगने से विवाह मुंडन कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान देव सो जाते हैं, देवउठनी एकादशी के बाद देव जागृत होते हैं। इस साल 17 सितंबर को श्राद्ध समाप्त होंगे, इसके अगले दिन अधिक मास शुरू होगा जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत उपवास रखे जाएंगे।
18 सितंबर से शुरू होगा अधिकमास
आश्विन महीने में अधिमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके कारण श्राद्ध अनुष्ठान के बाद तुरंत नवरात्र पूजन नहीं शुरू हो सकेंगे। नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होंगे। इस क्रम में 26 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपावली होगी। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास समाप्त होगा।
क्या होता है अधिक मास
सूर्य का वर्ष 365 दिन करीब 6 घंटे का होता है जबकि एक चंद्रमा वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का लगभग अंतर आता है। यह अंतर हर 3 वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर 3 साल में एक अतिरिक्त चंद्रमास आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिक मास का नाम दिया गया है।
इस बार होंगी 26 एकादशियां
अधिमास को ही मलमास भी पुकारते हैं, क्योंकि उस महीने में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है। इसलिए यह महीना मलिन हो जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने मलमास को अपना नाम पुरुषोत्तम माह दिया है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं, पर इस साल मलमास के कारण 26 एकादशियां होंगी। अधिमास की पहली पुरुषोत्तमी एकादशी 27 सितंबर को और दूसरी 13 अक्टूबर को होगी।
प्रेमावतार पंचरसाचार्य श्रीमद् स्वामी श्री राम हर्षण दास जी महराज जी के लाडले कृपा पात्र-संगीतमय श्री राम कथा श्रीमद् भागवत कथा एवं श्रीमद् प्रेम रामायण महाकाव्य जी की कथा के सरस गायक-भागवत मधुकर-मणिराम दास (मनी भईया)
श्री धाम अयोध्या जी 6394614812