केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित गंगा नदी डॉल्फ़िन के संरक्षण की महत्वाकांक्षी परियोजना “प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन” 15 दिनों में लॉन्च की जाएगी।
गौरतलब हो कि पीएम मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस पर “प्रोजेक्ट डॉल्फिन” की घोषणा की है। पीएम ने ये कहा है कि ये योजना जैव विविधता को बढ़ावा देगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
जावड़ेकर ने करके ट्वीट करके जानकारी दी:
As announced by PM @narendramodi ji on #74thIndependenceDay , @moefcc will be launching a holistic Project #Dolphin in another 15 days for the conservation and protection of the #Dolphins in the rivers and in oceans of the country.@SuPriyoBabul @PMOIndia pic.twitter.com/PfI5rVpx6I
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) August 17, 2020
पीएम ने 15 अगस्त को कहा था कि उनकी सरकार प्रोजेक्ट डॉल्फिन को बढ़ावा देना चाहती है। मोदी ने कहा था “सरकार नदियों और समुद्रों में रहने वाले दोनों प्रकार के डॉल्फ़िन पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसलिए, हम इस दिशा में भी आगे बढ़ने जा रहे हैं।”
आपको बता दें कि गंगा नदी की डॉल्फ़िन को 2010 में राष्ट्रीय जलीय प्रजाति (National Aquatic species) घोषित किया गया था। गंगा नदी की डॉल्फ़िन ताज़े पानी की डॉल्फ़िन की एक प्रजाति है जो मुख्य रूप से भारत और बांग्लादेश तथा नेपाल में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों और उनकी सहायक नदियों में पाई जाती है। भारत में, ये डॉल्फ़िन लंबी गहरी नदी में देखी जाती हैं जो असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक पहुँचती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नदी प्रणालियों में लगभग 3,700 गंगा नदी डॉल्फ़िन हैं। मंत्रालय ने कहा जैसा कि नदी डॉल्फ़िन स्वस्थ नदी पारिस्थितिक तंत्र के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं, उनका संरक्षण नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने और मछली की उपलब्धता में सुधार और स्थायी मत्स्य पालन के माध्यम से स्थानीय समुदायों की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने का काम भी करेगा। यह संरक्षण चिंताओं को दूर करने और नदी प्रदूषण को कम करने में नदी पर निर्भर आबादी जैसे हितधारकों को सशक्त करने और वैज्ञानिक रूप से उन्मुख संरक्षण विधियों के माध्यम से स्थायी मत्स्य पालन और नदी आधारित अन्य आजीविका विकल्पों की अनुमति देने की परिकल्पना करता है।”