कांग्रेस की रानजीतिक मुश्किलें कम होते नजर नहीं आ रही है। एक तरफ जहाँ कांग्रेस पार्टी के सामने नए अध्यक्ष चुनने की चुनौती है, वहीँ अब उन्हें नया चुनाव चिन्ह भी ढूंढना पड़ सकता है। जी हाँ, कांग्रेस पार्टी को बदलना पड़ सकता है हाथ के पंजे का चुनाव चिन्ह। दरअसल ये मुश्किल कांग्रेस पार्टी के सामने कड़ी करने वाले व्यक्ति है वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय। यह खुद कांग्रेस पार्टी के सामने बहुत बड़ी चुनौती बन खड़े हुए हैं।
खबरों के अनुसार वकील अश्वनी कुमार ने जनवरी में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह को रद्द करने की मांग को लेकर शिकायत दर्ज की थी। वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय का तर्क था कि “कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर हाथ दिखा कर वोटरों को लुभाने की कोशिश करते हैं। जो एक तरह से कायदे-कानूनों का उल्लंघन है।
दरअसल देश में छह राष्ट्रीय और 75 राज्य स्तरीय राजनीतिक दल हैं परन्तु कांग्रेस के अलावा ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है जिसने शरीर के किसी अंग को अपना चुनाव निशान बना रखा हो। चुनाव आयोग के पास भी 75 चुनाव चिन्ह खाली पड़े हुए हैं, इन में भी कोई ऐसा चिन्ह नहीं है, जिसमें शरीर का कोई अंग शामिल हो”।
वकील अश्वनी कुमार आगे रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 कानून का हवाला देते हुए कहते हैं कि “रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 की धारा 130 के तहत चुनाव प्रचार बंद होने के बाद मतगणना केंद्र के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार के चुनाव चिन्ह ले जाना या इशारे से चुनाव चिन्ह दिखाकर वोट की अपील करने की मनाही है। मगर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता अक्सर ही हाथ का इशारा कर वोट की अपील करते हैं”।
यह बात खुद निर्वाचन आयोग के डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंद्रभूषण कुमार ने मामले में दायर शिकायत पर सुनवाई के दौरान मानी और डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंद्रभूषण ने कहा कि “हम आपकी यह बात मानते हैं। इस चुनाव चिन्ह का मिसयूज होता रहा है। हमें चुनाव के दौरान देशभर से ऐसी कई शिकायतें मिलती रहती हैं”।
डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंद्रभूषण ने आगे कहा कि”कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हाथ दिखाकर वोट की अपील करते है तो इस मामले में हमें अलग से कुछ सोचना पड़ेगा”।
वकील अश्वनी कुमार ने और कुछ प्रश्न चुनाव आयोग के सामने रखा कि “कांग्रेस के हाथ के पंजे वाले निशान को रद्द नहीं किया तो कल को लोग विक्टरी चिन्ह, मुट्ठी का भी चिन्ह मांगेंगे क्या आप उन्हें ये देंगे? और चुनाव चिन्ह को लेकर कोई गाइडलाइंस आपकी वेबसाइट पर क्यों नहीं है?
इन प्रश्नों का जवाब देते हुए डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंद्रभूषण ने कहा कि “चुनाव आयोग मिलते-जुलते निशान जारी ही नहीं करता। अगर भाजपा को चुनाव निशान के तौर पर कमल दिया है तो किसी दूसरे को गुलाब का फूल नहीं देंगे। क्योंकि वह कागजों में छपने के बाद कमल जैसा लगेगा लोग कंफ्यूज हो जाएंगे हैं। हमने इसके लिए गाइडलाइंस भी जारी कर रखी हैं। जल्द ही यह जानकारी वेबसाइट पर होगी। हम आपकी शिकायत पर अपना फैसला सुरक्षित रख रहे हैं और जल्द ही विस्तृत फैसला सुनाएंगे”।
खबरों की माने तो जिस तरह के तर्क वितर्क हुए हैं उससे यह बात तो साफ हो गई हैं कि कांग्रेस को अपने लिए नया चुनाव चिन्ह चुनने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए ।