दिल्ली पुलिस की विशेष जांच टीम (STF- Special Task Force) की टीम ने रविवार (2 अगस्त) को कहा कि ताहिर हुसैन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ फरवरी के महीने में हुए पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका स्वीकार की है।
पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान निलंबित AAP पार्षद ने खुलासा किया कि वह अपनी राजनीतिक पॉवर और पैसे का इस्तेमाल करके हिंदुओं को सबक सिखाना चाहता था। उसने पुलिस को बताया कि वह पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों का मास्टरमाइंड था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ताहिर ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, इशरत जहां और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य दानिश, खालिद सैफी के समर्थन का इस्तेमाल किया। ताहिर ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद व्यथित था। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया और केंद्र ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया और इसलिए ताहिर ने दिल्ली में दंगे कराने का घिनौना प्लान बनाया।
ताहिर ने खुलासा किया कि 8 जनवरी, 2020 को, खालिद सैफी ने दिल्ली के शाहीन बाग में पीएफआई कार्यालय में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के साथ अपनी बैठक की। बैठक के दौरान, खालिद ने कथित तौर पर उसे बताया कि वह अपने समुदाय के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार है। यह वही समय था, जब खालिद सैफी ने ताहिर को बताया कि पीएफआई के सदस्य दानिश ‘हिंदुओं के खिलाफ युद्ध’ में आवश्यक सभी वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
तीनों ने तब केंद्र सरकार को सीएए (CAA- Citizen Amendment Act) के अपने फैसले को वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में कुछ बड़ा करने की साजिश रची। ताहिर के अनुसार, खालिद सैफी ने लोगों को एक स्तर पर उकसाने की जिम्मेदारी ली कि वे सड़कों पर निकल आएं और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दें।
सैफी ने अपने दोस्त इशरत जहां के साथ, खुरेजी में शाहीन बाग की तर्ज पर सीए-विरोधी प्रदर्शन का मंचन किया, जो धीरे-धीरे दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फैल गया।