राजस्थान की राजनीति में तमाम उठापटक के दौरान बीजेपी में भी रार नज़र आने लगी है। बीजेपी के ही दो प्रतिद्वन्दी नेता एक दूसरे पर इशारों इशारों में निशाना साधते नज़र आ रहे हैं। दरअसल केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के मुताबिक राजस्थान के सियासी उठापटक को लेकर सूबे की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की चुप्पी को लेकर तंज कसा है।शेखावत का कहना है कि पूरे मसले पर वसुंधरा का मौन रहना उनकी रणनीति हो सकती है।
शेखावत ने मौजूदा सीएम गहलोत पर पलटवार भी किया। साथ ही ये आरोप भी लगाया कि कांग्रेस पार्टी में रार एक ‘राजनीतिक ड्रामा’ है जो पार्टी नेताओं ने मिलकर रचा है। आपको बता दें कि अशोक गहलोत ने शेखावत पर सूबे की सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप मढ़ा था। जोधपुर से लोकसभा सांसद शेखावत का कहना है कि गहलोत, लोकसभा चुनाव में अपने बेटे को मिली बुरी हार को वो पचा नहीं पा रहे हैं। जिसके चलते बदले की भावना से मेरे खिलाफ हर तरह के हथकंडे आजमा रहे हैं।
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में शेखावत ने गहलोत के बेटे वैभव ने गहलोत को तक़रीबन 2.74 लाख से भी ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया किया था। शेखावत ने ये साफ किया कि राजस्थान के सियासी घटनाक्रमों का बीजेपी से कोई लेना देना ही नहीं है। राजस्थान के पूरे मसले को कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई करार दिया।
शेखावत के मुताबिक सूबे में ये ड्रामा सचिन पायलट और उनसे जुड़े लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के लिये रचा गया। शेखावत ने बिना संकोच कहा कि “वसुंधरा जी की चुप्पी एक रणनीति हो सकती है और कभी कभी चुप्पी, शब्दों से भी ज्यादा गूंजती है’’। ज़ाहिर है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अनबन सार्वजनिक होने के बावजूद वसुंधरा ने चुप्पी ठाने रखी। वहीं इस सियासी हलचल पर प्रदेश के बीजेपी नेता लगातार खुलकर हमला बोल रहे थे।
आपको बता दें कि वसुंधरा 2 दफा सूबे की सीएम रह चुकी हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर वसुंधरा राजे ने कुछ ट्वीट भी किए थे। जिसमें कहा कि कुछ लोग सूबे के सियासी घटनाक्रमों के बारे में भ्रम फैला रहे हैं। इतना ही नही, उन्होने ज़ोर देते हुए कहा कि वो हमेशा पार्टी और उसकी विचारधारा का समर्थन करती हैं। और हमेशा उसके साथ खड़ी हैं।
दरअसल बेनीवाल, वसुंधरा के बड़े आलोचक रहे हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले ही बेनीवाल ने बीजेपी छोड़ अपनी नई पार्टी बना ली थी। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और वसुंधरा के बीच राजस्थान में साल 2018 में बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर खुलकर मतभेद हुए थे। 2 महीने से भी ज़्यादा की लेट लतीफी के बाद मदन लाल सैनी को सूबे का अध्यक्ष बनाए जाने पर सहमति बनी। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हार के बावजूद वसुंधरा को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था।
वहीं शेखावत का आरोप है कि विधायकों पर भरोसा ना होने की वजह से सीएम गहलोत उन्हे जैसलमेर ले कर गये। सरकार अल्पमत में है इसलिए उनमें डर है। शेखावत का दावा है कि साल 2018 में सूबे में कांग्रेस की सरकार आने के बाद राज्य की सरकार 2 धड़ों में बंट गयी, जिसे गहलोत ने मीडिया के समक्ष ज़ाहिर कर दिया।