भोपाल की नेशनल अवॉर्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी मंगल से धरती पर सैंपल वापस लाने वाले पहले मार्स रिटर्न मिशन की जानकारी
आमतौर पर ‘मुहूर्त’ शब्द का उपयोग धार्मिक कर्मकांडों में होता है, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए यह सप्ताह मंगल ग्रह से मुलाकात का ‘मुहूर्त’ लेकर आएगा। भोपाल की नेशनल अवाॅर्ड प्राप्त साइंस कम्युनिकेटर सारिका घारू ने बताया, 30 जुलाई को नासा की ओर से स्थिति की अनुकूलता के आधार पर भारतीय समयानुसार शाम 05 बजकर 20 मिनट पर 1050 किलोग्राम वजनी पर्सवेरेंस (Perseverance) रोवर एटलस राॅकेट की लॉन्चिंग की जाएगी। यह एक्टिविटी फ्लोरिडा स्थित केप कैनावरल एयर फोर्स स्टेशन से संचालित होगी। सारिका ने वैज्ञानिक गणनाओं के आधार पर बताया कि रॉकेट 18 फरवरी 2021 को मंगल की सतह पर लैंड करेगा।
सूरज के पार होते ही धरती से 40 करोड़ किमी दूर होगा मंगल
सारिका ने बताया कि हर दो साल में सूरज की एक परिक्रमा करने वाला मंगल जब सूरज के पार होता है, तो पृथ्वी से उसकी दूरी 40 करोड़ किमी तक रह जाती है। लेकिन जब मंगल, पृथ्वी और सूरज सीध में आ जाते हैं तो दूरी घट जाती है। 14 अक्टूबर को जब मंगल का धरती से सामना होगा तो दूरी 6 करोड़ 20 लाख 70 हजार किमी होगी। दूरी घटने पर कम ईंधन में अंतरिक्ष यान को कम समय में भेजा जा सकता है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कम दूरी का फायदा देखकर मार्स मिशन के लिए वैज्ञानिक मुहूर्त निकाला है।
यह अभियान मंगल के एक साल (पृथ्वी के दो साल) तक चलेगा, जिसमें रोवर लगभग 45 किमी क्षेत्र में चलकर जीवन के साक्ष्य को तलाशेगा। यह क्रेटर की जियोलाॅजी का अध्ययन करेगा और दर्जनों सैंपल एकत्र करेगा। रोवर को 14 साल तक पावर देने के लिए परमाणुषक्ति से लैस किया गया है। इस अभियान पर 02 खरब भारतीय रुपए से अधिक की लागत आई है।
15 अगस्त तक लॉन्च नहीं हुआ तो करना होगा 2022 तक इंतजार
सारिका के अनुसार अगर मिशन की लॉन्चिंग 15 अगस्त तक नहीं हुई तो 2022 तक इंतजार करना होगा, जब दोबारा पृथ्वी और मंगल एक पंक्ति में होंगे। ऐसा होने पर 37 अरब रुपए से अधिक का नुकसान होगा। इसलिए 15 अगस्त से पहले यान का प्रक्षेपण करने के प्रयास को वैज्ञानिक मुहूर्त का नाम दिया गया है। नासा के अंतरिक्ष अभियान में पर्सवेरेंस लगभग 07 महीने की सैर करके मंगल की सतह पर 18 फरवरी 2021 को उतरेगा। वहां मंगल की मिट्टी एकत्र करके उसे 2031 के अंतरिक्ष मिशन के माध्यम से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। इसकी मदद से मंगल पर जीवन के साक्ष्य को ढूंढ़ने में मदद मिलेगी। यह इतिहास का पहला मार्स रिटर्न मिशन होगा।