वाराणसी: कोरोना काल में बढ़ा काढ़े का क्रेज, चाय की दुकान बंद कर खोल ली काढ़े की दुकान |

टी शॉप या कॉफी शॉप के नाम से तो सभी वाकिफ होंगे, लेकिन काढ़े की दुकान के नाम को शायद ही किसी ने सुना हो. धर्म की नगरी काशी में कोरोना काल के दौरान काढ़े का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर कुछ इस तरह बोल रहा है कि काढ़े के शौकीनों के लिए बाकायदा एक दुकान खुल गई है. जहां न केवल किफायती दर में काढ़ा पीने की व्यवस्था है, बल्कि होम डिलिवरी भी उपलब्ध है.

बनारस शहर गलियों, पक्के गंगा घाटों, सीढ़ियों, बनारसी साड़ी और पान के साथ ही यहां लगने वाली चाय की अड़ियों के लिए भी जाना जाता है. लेकिन कोरोना काल में चाय की अड़ियां उजड़ चुकी हैं और बाजार में भीड़ कम होने के चलते चाय के प्रति लोगों की दिलचस्पी काढ़े तक पहुंच गई है. लोगों की इसी चाहत को पूरा करने के लिए वाराणसी के जगमबाड़ी इलाके में कभी चाय के दुकानदार विजय ने अब काढ़ा बेचना शुरू कर दिया है.

विजय की मानें तो कोरोना काल में वे समाजसेवा के तौर पर खुद ही काढ़ा बनाकर निःशुल्क लोगों को पिलाया करता थे. फिर लोगों की बढ़ती रुचि और चाय की दुकान में मंदी के चलते उन्होंने आयुर्वेदिक काढ़े की दुकान खोल ली. वे 15 जड़ी बूटियों को मिलाकर काढ़ा बनाते हैं और प्रति कप या कुल्हड़ को मात्र 10 रुपये में बेचते हैं. महज 10वीं पास विजय को पूरा यकीन है कि काढ़े के सेवन से लोगों को फायदा पहुंच रहा है. उनकी काढ़े की दुकान दो दिनों में ही इतनी लोकप्रिय हो गई है कि प्रतिदिन 400-500 कुल्हड़ वे काढ़ा बेच लिया करते हैं.

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काढ़ा पीने और पैक कराकर घर ले जाने वाले भी काढ़े की दुकान खुल जाने से काफी खुश हैं. उनका कहना है कि कभी वे चाय की दुकानों पर चाय पिया करते थे, लेकिन जब से काढ़े की दुकान खुल गई है तब से वे चाय के बदले काढ़ा पी रहे हैं. चूंकि कोरोना का कोई इलाज अभी तक नहीं है, लेकिन आयुर्वेद में सभी मर्ज का इलाज है जिसमें से एक काढ़ा भी है. इसलिए लोग काढ़ा का सेवन कर रहें हैं. काढ़ा पीने के बाद लोगों को काफी अच्छा महसूस होता है. वे बताते हैं कि जब से काढ़ा पी रहे हैं, तब से बारिश का मौसम होने के बावजूद उन्हें सर्दी, जुखाम और खांसी की दिक्कत नहीं हुई है.

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