इस वर्ष हरियाली तीज का महापर्व 23 जुलाई 2020 गुरुवार के दिन | जानें क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज या कजली तीज के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन माता पार्वती का भगवान शिव से पुनर्मिलन हुआ था।
आज के दिन महिलाएं प​ति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और माता पार्वती एवं भगवान शिव शंकर की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करती हैं।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया गुरुवार 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 03 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त: 23 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे से 12:55 तक।
अमृत काल: 23 जुलाई को दोपहर 03:29 बजे से 04:59 तक।
विजय मुहूर्त: 23 जुलाई को दोपहर 02:44 बजे से दोपहर 03:39 बजे तक।

इस व्रत के प्रभाव से मानव के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु की कृपा से असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतगमय के मार्ग का साधन सुलभ हो जाता है।
इस पावन दिन में गोदान, अन्नदान, वस्त्रदान, धनदान, विद्यादान इत्यादि करने से कल्याण होता है। सुख-संपत्ति, आयुष्य एवं सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है। इस तिथि को स्त्रियां भवानी पार्वती का भी पूजन करती हैं। भक्तजन संपूर्ण शिव परिवार का पूजन करके आनंदमग्न होते हैं।

इस व्रत में तीन बातों का त्याग करना चाहिए – पति से छल कपट, मिथ्याचार एवं दुव्र्यवहार तथा परनिंदा।
इस पावन व्रत को करने के लिए प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व ही दैनिक क्रियाओं से निवृत्त हो संकल्प लेकर ही भगवत् आराधना करें, क्योंकि संकल्प ही सिद्धियों का मूल है। समस्त उत्तर भारत में तीज पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

बुंदेलखंड के जालौन, झांसी, दतिया महोबा, ओरछा आदि क्षेत्रों में इसे हरियाली के नाम से मनाते हैं। प्रातः काल उद्यानों से विभिन्न वृक्षों जैसे आम, पीपल, अशोक, कदंब आदि के पत्तों सहित टहनियां तथा पुष्प गुच्छ लाकर पूजा स्थान के पास स्थापित झूले को इनसे सजाते हैं और दिनभर उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को झूले में रखकर श्रद्धा से झुलाते हैं। ओरछा, दतिया और चरखारी का तीज पर्व श्रीकृष्ण के दोलारोहण के रूप में वृन्दावन जैसा दिव्य होता है। बनारस, जौनपुर आदि पूर्वांचल जनपदों में तीज पर्व ललनाओं के कजली गीतों से गुंजायमान होकर विशेष आनंद देता है।

प्रायः विवाहित नवयुवतियां श्रावणी तीज अपने पीहर में मनाती हैं। इस पवित्र दिन सुंदर से सुंदर विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर बेटियों को भेजे जाते हंै। सुहागी सास के पांव छूकर उसे दिया जाता है। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी वयोवृद्धा को देना शुभ होता है। इस तीज पर मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। स्त्रियों के पैरों में महावर की शोभा तो अनोखी होती है। नवीन परिधानों व आभूषणों से सुसज्जित नारियों का सौंदर्य अति मनोहर होता है।

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