सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में इनसाइडर्स और आउटसाइडर्स की बहस अलग स्तर पर पहुंच चुकी है। बीते दौर के कई एक्टर्स भी इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं। कंगना रनौत के इंटरव्यू के बाद बीते दौर की एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल ने कहा था कि “वे कंगना की हिम्मत से काफी प्रभावित हैं.”। अब गोविंदा ने भी इस मामले में अपनी राय रखी।
90s में इंडस्ट्री में सुपरस्टार कहलाने वाले गोविंदा ने नेपोटिज्म के बारे में कहा कि “उनके पिता अरुण कुमार राजा और निर्मला देवी एक्टर्स थे, इसके बावजूद उन्हें बॉलीवुड में जगह बनाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा”। गोविंदा ने कहा कि “अपने दौर में कई प्रोड्यूसर्स से मिलने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता था”। बॉलीवुड में कैंप्स होते हैं और बॉलीवुड को मोटे तौर पर 4-5 लोग ही चला रहे हैं”।
गोविंदा ने बताया कि “पहले जो भी टैलेंटेड होता था, उसे काम मिल जाता था. हर फिल्म को थियेटर्स में बराबरी के मौके मिलते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब 4-5 लोग ऐसे हैं जो फिल्मों का पूरा बिजनेस चलाते हैं। वे फैसला करते हैं कि जो उनके करीबी नहीं है उनकी फिल्मों को ठीक-ठाक रिलीज होने देना है या नहीं। मेरी कुछ अच्छी फिल्मों को भी ढंग की रिलीज नहीं मिल पाई थी, लेकिन चीजें अब काफी बदल रही हैं”।
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अपनी बेटी टीना आहूजा के बॉलीवुड लॉन्च के बारे में बात करते हुए गोविंदा ने कहा कि “मैंने उससे इस बारे में कभी ज्यादा बात नहीं की है। मेरी बेटी अपनी राह खुद तलाशने की कोशिश कर रही है और जब भी उसका समय आएगा तो वो जरूर सफल होगी।
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खबरों की माने तो गोविंदा के बेटे के भी बॉलीवुड में डेब्यू करने की खबरें हैं।
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