साल 1998 के बाद से अब तक लगातार कांग्रेस अध्यक्ष, गांधी परिवार से ही बना है। अभी भी कांग्रेस पार्टी की बागडोर सोनिया गांधी के ही हाथ में है। हालांकि इस कार्यकाल के दौरान कांग्रेस ने पार्टी के अंदर ही कई ऐसी अप्रत्याशित घटनाएं देखीं जो उम्मीद के परे रही थी। दरअसल कांग्रेस में कई ऐसे नेता रहे जिन्होने पार्टी में खुलकर बगावत की। लेकिन बावजूद उसके उनके बेटों ने अपनी मेहनत से कांग्रेस में अपनी एक खास जगह बनाई।
1)_ सन 1996, उन दिनों देश में नरसिम्हा राव का कार्यकाल चल रहा था। देश में सामने आया एक सनसनीखेज मामला जिसे ‘जैन हवाला डायरी’ के नाम से जाना जाता है। दरअसल इस पूरे मामले में कांग्रेस के नेता माधवराव सिंधिया का भी नाम सामने आया। आपको बता दें कि उन दिनों माधवराव सिंधिया केंद्रीय मंत्री के पद पर क़ाबिज़ थे। हवाला केस में नाम आते ही उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। वहीं आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीनियर सिंधिया को अपना उम्मीदवार बनाने तक से मना दिया।
नाराज़ सिंधिया ने बागी तेवर अपनाया और कुछ वक़्त में ही पार्टी का दामन छोड़ दिया। सिंधिया ने चुनावी मौसम में अपनी अलग पार्टी खड़ी की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को ही मात दी। वर्ष 2001 में ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया ने हवाई दुर्घटना में अपनी जान गवां दी।
माधव राव के देहांत के बाद कांग्रेस नेतृत्व से उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को काफ़ी प्यार मिला।जूनियर सिंधिया 31 साल की उम्र में सांसद और 41 साल में केन्द्रीय मंत्री बन गये। इतना ही नहीं, ज्योतिरादित्य कांग्रेस पार्टी के कई अहम पदों पर भी रहे। ज्योतिरादित्य पार्टी नेतृत्व के कितने क़रीबी थे! उसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ज्योतिरादित्य को राहुल गाँधी के कमरे में जाने के लिये किसी भी इजाज़त की ज़रूरत नही होती थी।
2)_ जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद, जिन्होने ने पार्टी के कई अहम फैसलों का मुखर होकर विरोध किया। आपको बता दें कि जब साल 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिये सोनिया गांधी सामने आई तो जितेंद्र प्रसाद की नाराज़गी सबके सामने आ गई। दरअसल जितेन्द्र उस वक़्त बगावत के सुर बोलने लगे थे।
हालांकि तमाम नाराज़गी और विरोध होने के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष अन्ततः सोनिया गांधी ही बनीं।गौरतलब है कि पिता की बगावत के बाद भी बेटे जितिन प्रसाद को पार्टी में सांसद और मनमोहन सरकार में मंत्री भी बनने का अवसर मिला।
3)_ कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट भी पार्टी के खिलाफ बागी हो गये थे। जब साल 1998 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के पार्टी प्रेजिडेंट बनाए जाने की बात का विरोध किया था तब राजेश पायलट ने मुखर होकर जितेन्द्र प्रसाद का साथ दिया था। हालांकि पिता माधव राव की बगावत के बावजूद सचिन पायलट 26 साल की उम्र में ही कांग्रेस से सांसद बने। वहीं 34 की उम्र में केंद्रीय मंत्री भी बन गये। 37 साल के होने पर राजस्थान पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का भी पदभार सम्भाला।
साल 2018 में राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था जिसके चलते सचिन नाराज़ चल रहे थे। सचिन को उम्मीद थी कि सूबे में पार्टी के लिये की गयी मेहनत का तोहफा ‘मुख्यमंत्री’ पद के तौर पर मिलेगा।