यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिन्दगी……! पुण्यतिथि/ अभिनेता प्राण
प्राण (प्राण कृष्ण सिकंदर) का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता एक ठेकेदार थें। इनकी शिक्षा कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून और रामपुर में हुई। इसके बाद लाहौर से बतौर फोटोग्राफर कैरियर की शुरुवात किये। 1940 में आयी फ़िल्म ‘यमला जट’ से फिल्मों में पहला मौक़ा मिला। इसके बाद ‘खानदान, पीपली साहब और हलाकू’ फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। विभाजन के दौरान यह अपने परिवार संग लाहौर छोड़कर मुम्बई आ बसे। इसके बाद फिल्मों में इन्हें मुख्य अभिनेता के जगह सहायक अभिनेता के रूप में काम मिला। और अधिकतर फिल्मों में इन्होंने खलनायक की भूमिका अदा की। इनको सबसे ज्यादा परदे पर खलनायक के रूप में ही पहचान मिली। इनकी बेहतरीन अभिनय से सजी फिल्मों में ‘मधुमती, राम और श्याम, जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, आंसू बन गए फूल, जॉनी मेरा नाम, विक्टोरिया नम्बर 203, बेईमान, ज़ंजीर, डॉन, अँधा कानून, क़र्ज़’ आदि फ़िल्में शामिल हैं। ‘राम और श्याम’ फ़िल्म में इनके द्वारा निभाये गये खलनायक की भूमिका तालियों के साथ गाली भी बटोरी वही ‘उपकार’ फ़िल्म में निभाई गयी भूमिका ने सभी को भावुक कर दिया। प्राण साहब को फिल्मों के अलावा खेल से भी लगाव था, 50 के दशक में उनका फुलबॉल क्लब ‘डायनमोस’ काफी चर्चित था। प्राण साहब के लिए अधिकतर फिल्मों के गीत महान पार्श्वगायक मन्ना डे ने गाये हैं। ‘उपकार (1968), आंसू बन गए फूल (1970) और बेईमान (1973)’ फ़िल्म में इनके जीवंत अभिनय के लिए सहायक अभिनेता का फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। इसके अलावा 1997 में ‘फिल्मफेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ भी दिया गया। साल 2001 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया।
12 जुलाई 2013 को मुम्बई स्थित लीलावती अस्पताल में इनका निधन हो गया।
‘कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
बाते हैं, बातों का क्या ?
कोई किसी का नहीं ये झूठे
नाते हैं, नातों का क्या?’
नमन् महान अभिनेता को !