राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी सियासी लड़ाई तूल पकड़ती जा रही है। जिससे गहलोत सरकार पर संकट के घने बादल मंडराने लगे हैं। गहलोत लगातार बीजेपी पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं बीजेपी के मुताबिक ये पूरा मसला, कांग्रेस की अपनी अन्दरूनी कलह है।
राजस्थान की सियासी तस्वीर मिनट दर मिनट बदल रही है। इस सूबे में कुछ सियासी घटनाएं की मध्यप्रदेश से मेल खाती मालूम पड़ रही हैं। सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच टकराहट अब किसी से छुपी नही रही है। और ऐसे अहम मौक़े पर पायलट का दिल्ली में होना इस चर्चा पर मुहर लगा रहा है। आपको बता दें कि शनिवार की रात से ही हरियाणा के मानेसर के एक होटल में राजस्थान के 24 विधायक पहुंचे हुए हैं। ये तक़रीबन कुछ वैसी ही परिस्थितियां बन रही जैसे एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक पहले गुड़गांव और फिर कर्नाटक के एक रिजॉर्ट में जाकर रुके थे।
दिलचस्प ये हैं कि कांग्रेस के अहम युवा नेता माने जाने वाले सचिन पायलट की ज्योतिरादित्य सिंधिया से गहरी दोस्ती है। ऐसे में ये क़यास लगाए जा रहे कि सचिन पायलट बीजेपी के संपर्क में में बने हुए हैं। बताया कुछ ऐसा जा रहा कि सूबे की सत्ताधारी पार्टी की तरफ से जब अपने विधायकों से सम्पर्क साधने का प्रयास किया गया तो प्रदेश के कई विधायकों के फोन बन्द हैं। ऐसे में खबर ये भी है कि कांग्रेस महासचिव और राज्याप्रभारी अविनाश पांडे भी बीते दिन जयपुर पहुंचे गये।
सूबे की बदलती राजनीतिक तस्वीर के बीच ही प्रदेश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देर रात मंत्रियों की मीटिंग बुलाई। लेकिन इस मीटिंग में सचिन पायलट और उनके तमाम समर्थक विधायक मौजूद नहीं रहे। हालांकि इसके पीछे पायलट के दिल्ली में होने को वजह बताई गयी।
गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से ही पायलट की नाराज़गी चल रही है। दरअसल पार्टी के प्रदेश प्रमुख होने के बावजूद, उन्हें सूबे का मुख्यमंत्री ना बनाए जाने से सचिन और उनके समर्थक कार्यकर्ता, अशोक गहलोत से नाराज थे। ऐसे में अगर सचिन पायलट अगर कोई सियासी दांवपेच का पासा फेंकते हैं तो ये कांग्रेस के लिये बड़ा उलटफेर साबित होगा।