दहशतगर्द के एनकाउंटर की थी पूर्व आशंका, बीती देर रात ही सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी पीआईएल
विकास दूबे के एनकाउन्टर के बाद भले ही सूबे की सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हों, लेकिन एक अर्से बाद प्रदेश की सरकार और पुलिस की जान में जान आई। अब शायद वो यही कह रहे होंगे कि ‘अन्त भला तो सब भला’।
मगर अब सूबे में दूबे के एनकाउंटर पर सियासत भी ज़ोरो पर हैं। आरोपों का दौर सा शुरु हो चुका है। लेकिन आपको एक और हैरान करने वाली खबर दे देते हैं। दरअसल विकास के एनकाउन्टर के महज़ कुछ घंटे पहले यानि बीती रात ही सुप्रीम कोर्ट में विकास के 5 साथियों के एनकाउंटर पर सीबीआई जांच की मांग को लेकर पीआईएल दायर की गई थी।
आपको याद होगा कि विकास दूबे के पांच हिस्ट्रीशीटर साथियों को पुलिस ने एनकाउंटर में ढ़ेर कर दिया था।इतना ही नहीं, दायर की गयी इस याचिका में विकास दुबे के एनकाउंटर की पूर्वाशंका जताई गयी थी। याचिका दाखिल करने वाले वकील घनश्याम उपाध्याय ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की थी। याचिका में ये साफ कहा गया था कि एनकाउन्टर के नाम पर आरोपियों को मारना कानूनी शासन के सख्त खिलाफ है।
घनश्याम उपाध्याय ने इसे मानवाधिकारो का उल्लंघन बताते हुए याचिका में इसे तालिबानी रवैया करार दिया। आपको बता दें कि 5 लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे को यूपी पुलिस ने कानपुर के नज़दीक ही हुए एनकाउंटर में मार गिराया। दरअसल ये मुठभेड़ तब हुई जब यूपी पुलिस, बदमाश को उज्जैन से कानपुर लेकर जा रही थी।
पुलिस के मुताबिक पुलिस काफिले की जिस गाड़ी में बदमाश को बिठाया गया था वो अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसके दौरान मौक़ा पाकर दूबे ने भागने की कोशिश की। बदमाश को खदेड़ती हुई पुलिस ने दुबे को सरेंडर करने का मौक़ा दिया। लेकिन पुलिस की बात ना मानने पर बदमाश को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
आपको बता दें कि विकास दूबे कानपुर के ही बिकरू गांव का रहने वाला था और 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का भी उस पर आरोप था। वहीं अब तक पुलिस, इस इनामी हिस्ट्रीशीटर के कई साथियों को यूपी के अलग अलग शहरों में मुठभेड़ के दौरान ढ़ेर कर चुकी है।
गौरतलब कि 3 जुलाई को यानि जिस दिन 8 पुलिसकर्मीयों की हत्या हुई थी उसी दिन विकास के दो सहयोगी अटल दूबे और प्रेम प्रकाश पांडे पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मार गिराए गए थे। वहीं 8 जुलाई को यूपी पुलिस ने विकास दूबे के एक और क़रीबी अमर दुबे को ढ़ेर कर दिया था, जिस पर भी 50 हजार रुपये का ईनाम घोषित था।