बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का जन्म दिवस आज, पचासी के हुए दलाई लामा
शांति,संघर्ष और जुझारूपन के प्रतीक बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा जन्मदिवस….
बौद्ध धर्म दुनिया के धर्मों का चौथा सबसे बड़ा धर्म है जिसके 375 लाख अनुयायी है। बौद्ध धर्म के धर्मगुरु को दलाईलामा कहा जाता है। बौद्ध धर्म के 14वें दलाईलामा तिब्बती धर्मगुरु तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) है। तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु हैं। दलाईलामा (Dalai Lama) का जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तेसेर (Taktser) क्षेत्र में रहने वाले एक साधारण येओमान किसान परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम ल्हामो थोंडुप था जिसका अर्थ है मनोकामना पूरी करने वाली देवी। बाद में उनका नाम तेंजिन ग्यात्सो रखा गया। उन्हें मात्र दो साल की उम्र में 13वें दलाई लामा थुबटेन ज्ञायात्सो (13th Dalai Lama, Thubten Gyatso) का अवतार बताया गया था। छह साल की उम्र में ही मठ के अंदर उनको शिक्षा दी जाने लगी। अपने अध्ययन काल के दौरान से ही वह बहुत कर्मठ और समझदार व्यक्तित्व के स्वामी थे।
‘दलाई लामा’ एक मंगोलियाई पदवी है, जिसका मतलब होता है- ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करूणा, अवलोकितेश्वर के बुद्ध के गुणों के प्रकट रूप माने जाते है। बोधिसत्व ऐसे ज्ञानी लोग होते हैं जिन्होंने अपने निर्वाण को टाल दिया हो और मानवता की रक्षा के लिए पुनर्जन्म लेने का निर्णय लिया हो।
नेतृत्व की ज़िम्मेदारियां
वर्ष 1949 में तिब्बत (Tibet) पर चीन (China) के हमले के बाद परमपावन दलाई लामा से कहा गया कि वह पूर्ण राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में ले लें और उन्हें दलाई लामा का पद दे दिया गया। चीन यात्रा पर शांति समझौता व तिब्बत से सैनिकों की वापसी की बात को लेकर 1954 में वह माओ जेडांग, डेंग जियोपिंग जैसे कई चीनी नेताओं से बातचीत करने के लिए बीजिंग (Beijing) भी गए लेकिन सम्मेलन असफल ही रहा। लेकिन आखिरकार वर्ष 1959 में ल्हासा में चीनी सेनाओं द्वारा तिब्बती राष्ट्रीय आंदोलन को बेरहमी से कुचले जाने के बाद वह निर्वासन में जाने को मजबूर हो गए। अंतत: वर्ष 1959 में उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी। वह उत्तर भारत के शहर धर्मशाला (Dharamsala, Northern India) में रह रहे हैं जो केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का मुख्यालय है।
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