यूपी बोर्ड का चौंकाने वाला रिजल्ट आया सामने, आठ लाख से अधिक छात्र हिंदी में फेल
वर्षों से देखा जा रहा है देश में हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह आदि मनाये जाते हैं. परन्तु हिन्दी बेचारी ठगा महसूस करती है अपने आपको. रात स्वप्न में कह रही थी, ‘तुम सब तो स्वतंत्र हो गए, पर मैं तो अभी भी बेड़ियों से जकड़ी महसूस करती हूँ अपने को’।
हिन्दी भाषी होने पर अब लोग शर्म की बात मानते हैं। आखिर कब तक अंग्रेजी की लाश ढोकर हम गौरवान्वित होते रहेंगे? हाल ही में जारी हुई उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के परिणाम में जिस प्रकार से अपनी मातृभाषा हिंदी में छात्रों के असफल होने के आंकड़े सामने आए हैं, वह बेहद चौंकाने वाले हैं।
आमतौर पर जिस क्षेत्र में जो भाषा बोली जाती है, वहां अधिकतर लोगों की उस पर अच्छी पकड़ और अच्छी समझ मानी जाती है। लेकिन अगर आप यूपी बोर्ड 2020 (UP Board 2020) के नतीजों पर नजर डालेंगे तो शायद अपने हाथों से अपना सिर ही पकड़ लें। जी हां, साल 2020 में यूपी बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के नतीजों को देखकर हर कोई हैरान था। हैरानी की वजह दिलचस्प थी, इतनी दिलचस्प कि देश के सबसे बड़े हिंदीभाषी राज्य उत्तर प्रदेश के बोर्ड एग्जाम में 8 लाख से अधिक स्टूडेंट्स हिंदी (Hindi) विषय में ही फेल हो गए हैं।
27 जून 2020 को जारी हुई हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में 7,97,826 परीक्षार्थी अनिवार्य विषय हिन्दी में फेल हो गए हैं। हालांकि यह संख्या गत वर्ष हिन्दी में फेल होने वालों की तुलना में थोड़ी कम है। इस वर्ष भी 10वीं में सर्वाधिक 5,27,866 परीक्षार्थी हिन्दी में फेल हुए हैं जबकि 12वीं के 2,69,960 परीक्षार्थी हिन्दी में फेल हुए।
एक नजर पिछले कुछ वर्षों में हिंदी में फेल छात्रों के आंकड़ों पर
2018 में हिंदी में फेल छात्रों की संख्या
साल 2018 में कुल 56 लाख छात्रों में से, 11 लाख से अधिक लोग यूपी बोर्ड की 10वीं-12वीं में हिंदी के पेपर में असफल रहे थे। बता दें, जो छात्र इस साल हिंदी के पेपर में फेल हुए हैं उन्हें सप्लीमेंट्री परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा.
2019 में हिन्दी में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10 लाख थी।
हाईस्कूल में हिन्दी और प्रारंभिक हिन्दी का पेपर होता है। हिन्दी में 5,27,680 तो प्रारंभिक हिन्दी में 186 फेल हो गए। वही इंटर हिन्दी में 1,08,207 तथा सामान्य हिन्दी में 1,61,753 परीक्षार्थी फेल हुए हैं।
इसके अलावा, लगभग 2.39 लाख छात्रों ने हिंदी के पेपर को छोड़ दिया था. इस बात से अंदाजा लगाया जाता सकता है छात्र कितनी बड़ी संख्या में हिंदी के पेपर को नजरअंदाज कर रहे हैं।
पेरेंट्स से लेकर टीचर्स तक हैरान
यूपी बोर्ड 2020 (UP Board 2020) में 8 लाख छात्रों के हिंदी (Hindi) में फेल होने से हर कोई हैरान है। पेरेंट्स तो परेशान है ही, टीचर्स भी कम अचंभित नहीं हैं। टीचर्स ने तो यहां तक कहा कि हिंदी भाषा की उपेक्षा की ही परिणाम है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्र इस विषय में फेल हो गए। बदलते वक्त के साथ हिंदी भाषा को लेकर छात्रों में उदासीनता आई है। जिसकी वजह से ही साल 2018 और 2019 का रिजल्ट खराब रहा था।
वहीं कहा जा रहा है, ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि इन दिनों छात्रों का मानना है कि भविष्य में हिंदी भाषा का अध्ययन करना आवश्यक नहीं है।
आज के समय में मृतप्राय मातृभाषा हिंदी को हिंदी दिवस मानाने का क्या लोगों को औचित्य भी पता है? विचारधारा जब विदेशी हो तो मातृभाषा का पतन अपने आप ही होने लगता है। इसीलिए अंग्रेजी भाषा पे इतराने वालों अपनी मातृभाषा को अपमानित न करो और गर्व करो की तुम हिंदी भाषी हो और तुम्हारी ये पहचान है। देखिए यूपी बोर्ड कब चेतता है और हिंदी में फेल होने वाले छात्रों के स्कूलों पर कार्यवाही करता है।