अभी हाल ही में पूरा देश लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की PLA के साथ हुई लड़ाई में शहीद होने का शोक मना रहा है। चीन को भी काफी नुकसान हुआ है और 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर है। वर्ष 1975 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा था कि LAC पर भारत ने किसी जवान की गंवाई है। ऐसे मौके पर पूरा देश भारतीय सेना के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी ऐसे वक्त में भी देश और सेना को बदनाम करने का एक मौका नहीं छोड़ा था। हालांकि कांग्रेस में चीन के प्रति सहानुभूति स्वतन्त्रता के समय से ही देखा जा सकता है। जब भी भारत और चीन के बीच संघर्ष देखने को मिलता है कांग्रेस पार्टी को चीन का साथ देते या सुरक्षा मामलों पर भारत विरोधी बयान जारी करते देखा जा सकता है। अब नया मामला कांग्रेस का राजीव गांधी फाउंडेशन पर चीन से पैसा लेने का सामने आया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे पी नड्डा ने गुरुवार (25 जून) को आरोप लगाते हुए कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीनी दूतावास से 300 हजार अमरीकी डॉलर मुहैया कराए हैं। उन्होंने कहा कि चीन और कांग्रेस के बीच गुपचुप रिश्ता भी है। नड्डा ने मध्यप्रदेश की वचुर्अल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं और कई कांग्रेस नेता इससे जुड़े हुए हैं। इस फाउंडेशन को लगभग एक दशक पहले पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीन ने इतनी मोटी रकम क्यों दी गई। उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि फाउंडेशन को इतना पैसा किस उद्देश्य से दिया गया।
कांग्रेस परिवार ही है ट्रस्टी
वर्ष 1991 में बने राजीव गांधी फाउंडेशन के बोर्ड में दस ट्रस्टी हैं, जिनमें तीन ट्रस्टी गांधी परिवार से ही हैं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी इस संस्था की चेयरपर्सन हैं. उनके पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस संस्था में ट्रस्टी हैं. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी इस संस्था के ट्रस्टी हैं. ये वो लोग हैं जो गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं. इस संस्था में बाकी सदस्य भी गांधी परिवार और कांग्रेस के करीबी हैं.
कांग्रेस के राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से मिला 90 लाख से अधिक का चंदा
दस्तावेज में दानकर्ताओं की लिस्ट में चौथे नंबर पर Embassy of the People’s Republic of China in India यानी भारत में चीन के दूतावास का नाम है. और इसके नाम पर 90 लाख रुपये की रकम का जिक्र है, जो राजीव गांधी फाउंडेशन को 4 दिसंबर 2006 को दी गई है. अब सवाल ये है कि भारत में चीन का दूतावास, आखिर उस राजीव गांधी फाउंडेशन को इतनी बड़ी रकम क्यों दे रहा था? जो संस्था सीधे-सीधे गांधी परिवार की संस्था है.
कांग्रेस से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग
कांग्रेस के आलोचकों का कहना है कि एक तरफ भारत चीन के बीच व्यापार असंतुलन बढ़ता रहा वहीं फाउंडेशन का थिंक टैंक एफटीए के पक्ष में दलीलें देता रहा। 2003-04 के मुकाबले 2013-14 में व्यापार असंतुलन 33 गुना बढ़ चुका था। अब विभिन्न क्षेत्रों से मांग उठ रही है कि पूरे मामले पर कांग्रेस अपना पक्ष स्पष्ट करें। कांग्रेस को चीन सरकार से कितनी मदद मिली और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से उसका क्या समझौता हुआ उसके बारे में लोग विस्तार से जानना चाहते हैं।
बीजेपी पर भी लगा आरोप
कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी का यह आरोप हास्यास्पद इसलिए है कि साल 2004-2014 के बीच बीजेपी के कई नेता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से कई बार मिल चुके हैं, साल 2007 में दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल और राजनाथ सिंह के बीच मुलाक़ात हुई थी, कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि बीजेपी ये मुद्दे इसलिए उठा रही है कि वह असली मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है,