कुम्भनगरी में सूर्यग्रहण से एक दिन पहले गंगा और यमुना नदियों के साथ ही दूधिया रंग की एक रहस्यमयी धारा भी दिखाई दी| थोड़ी देर तक दोनों नदियों के साथ दिखाई दी इस धारा को देखकर सभी हैरान रह गए| वहीं, संगमनगरी वासी इसे लुप्त हो गई संगम की तीसरी नदी सरस्वती की धारा बता रहे हैं| उनका कहना है कि 10 से 20 वर्षों में एक बार सरस्वती नदी की सफेद धारा दिखाई देती ही है|
इस दौरान वहां मौजूद एक नाविक ने इसकी कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल फोन पर रिकार्ड कर लीं| ये तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं और इन्हें लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं| ज्यादातर लोग इसे विलुप्त हो चुकी नदी सरस्वती की धारा मान रहे हैं| हालांकि वैज्ञानिकों का दावा संतों और आम लोगों से अलग है|
योग गुरु आनंद गिरी भी इस धारा को गंगा यमुना के बीच विराजमान अदृश्य सरस्वती की धारा ही मान रहे हैं| उनके मुताबिक संगम पर दिखने वाली ये सफेद धारा विलुप्त सरस्वती की ही है| स्वामी आनंद गिरी का कहना है कि ये कुछ और नहीं बल्कि विलुप्त हो चुकी सरस्वती की धारा थी| देवी सरस्वती दस बीस सालों में कुछ पल के लिए यहां अपने भक्तों को दर्शन देती हैं| धार्मिक ग्रंथों में भी यहां सरस्वती के होने का जिक्र है इसीलिये इस जगह को त्रिवेणी भी कहा गया है|