जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद लोगों को वहां की नागरिकता मिलने की सारी अड़चनें खत्म हो गई हैं और नागरिकता मिलना प्रारंभ हो गई है। बिहार के IAS अधिकारी नवीन कुमार चौधरी (Naveen Kumar Chaudhary) अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद बाहरी राज्य से आकर जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी बनने वाले देश के पहले व्यक्ति बने हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर नवीन कुमार चौधरी का डोमिसाइल सर्टिफिकेट वायरल हो रहा है।
दरभंगा के मंझौलिया निवासी इस अधिकारी को निवास प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है. नवीन चौधरी को यह सर्टिफिकेट जम्मू-कश्मीर ग्रांट डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसिजर) रूल्स 2020 के नियम 5 के तहत जारी किया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के बाहर के किसी व्यक्ति को निवास प्रमाण पत्र जारी हुआ है। जारी दस्तावेज के अनुसार चौधरी को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जम्मू की बाहु तहसील के तहसीलदार डॉ रोहित शर्मा ने जारी किया है।
कौन है नवीन कुमार चौधरी
दरभंगा के हायाघाट प्रखण्ड के मझौलिया गांव रहने वाले नवीन कुमार चौधरी के पिता का नाम श्री देवकांत चौधरी और मां-वैदेही देवी है। चार भाई और एक बहन में नवीन चौधरी सबसे बड़े हैं। 1994 बैच के यूपीएससी परीक्षा में उन्हें 6ठवां रैक मिला था। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के मझौलिया मध्य बुनियादी विधायलय में हुई है। ललितेश्वर मधुसूदन हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक किया था. वर्तमान में ऐग्रिकल्चर डिपार्टमेंट में प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं।
आइएएस अधिकारी नवीन चौधरी 25 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर का कैडर हासिल कर बिहार से आए थे. 26 साल बाद वह जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक बन गए हैं।
आप कैसे ले सकते हैं जम्मू कश्मीर की नागरिकता
हाल ही में संसद में कानून बनाकर केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के अंत के बाद जम्मू-कश्मीर में नए (संशोधित)को मंजूरी दी थी। इसमें उन लोगों को स्थायी निवासी के रूप में मान्यता दी गई थी जो कि 15 साल से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हों या जिन लोगों ने यहां पर सात साल तक पढ़ाई की हो और इसी राज्य के स्कूलों में 10वीं एवं 12 की परीक्षा दी हो. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर डोमिसाइल कानून के तहत 15 साल से रहने वाले नागरिकों को यह सर्टिफिकेट हासिल करने का अधिकार है।
डोमिसाइल सर्टिफिकेट लॉ से क्या बदलाव होंगे?
1. पहले किसी दूसरे राज्य के लड़के से शादी करने पर लड़कियों को मिली जम्मू-कश्मीर की नागरिकता छीन ली जाती थी. लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद अब उनकी और उनके बच्चो को भी राज्य की स्थायी नागरिकता का अधिकार होगा।
2. पिछले 73 सालों से जम्मू में रह रहे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी को अब राज्य की नागरिकता मिल जाएगी. इसके साथ ही वाल्मीकि समाज और राज्य में रह रहे गोरखा समुदाय के लोग भी नए नागरिकता कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के शहरी होंगे. पहले वो पंचायत में वोट नहीं कर सकते थे। लेकिन अब उन्हें वोट देने से लेकर चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने का भी अधिकार मिल गया. राज्य में इनकी कुल संख्या 2 लाख के करीब है।
3. 1947 में पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से उजड़ कर आये 5300 परिवार जिनकी संख्या भी अब 1 लाख से ज्यादा होगी, उन्हें उस समय शेख अब्दुलाह और जवाहर लाल नेहरू की जोड़ी की बदौलत राज्य में बसने नही दिया गया था।वो लोग अब इस कानून के तहत नागरिकता केअधिकारी हैं।
4. राज्य में क्लास चार से लेकर राजपत्रित स्तर की सभी नौकरियों पर यहां के नागरिकों का अधिकार होगा. बिना डोमिसाइल प्रमाण पत्र यहां कोई बाहिरी व्यक्ति नौकरी के लिए अप्लाई करने का भी हकदार नहीं होगा।