सोनू निगम ने सोशल मीडिया पर जब अपना एक वीडियो शेयर किया और कहा कि “म्यूजिक इंडस्ट्री में भी म्यूजिक माफिया का राज है और सुशांत के बाद आप किसी सिंगर, कंपोजर या किसी लिरिक्स राइटर की खुदकुशी की खबर के लिए भी तैयार रहें”।
सोनू के बाद म्यूजिक इंडस्ट्री में अपने गानों से बुलंदियों पर पहूँचकर कुछ सिंगर अचानक से गायब हो गये, ऐसे कुछ सिंगर अब सामने आकर अपनी आपबीती शेयर कर रहे हैं।
“दिल्ली की सर्दी “और “खिड़की पर आऊँ ना बाहर ना जाऊं” जैसे सुपरहिट गाने देने वाली सिंगर श्वेता शेट्टी ने एक इंटरव्यू में बताया कि अपने म्यूजिक के कॅरियर मे टॉप पर जब फीमेल होने के नाते मैंने अपना स्टैंड लिया तो मुझे बैन और ब्लैक लिस्ट कर दिया गया, उस वक्त मैं भी सुशांत की उम्र की थी मेरे साथ भी सुशांत जैसा ही हादसा हो सकता था, मैं पूरी तरह टूट गई थी, उसके बाद मैं जर्मनी चली गई और वहां मेरा एक्सीडेंट हो गया और मैं डिप्रेशन में आ गई थी “।
कम्पोज़र और गीतकार अर्को प्रावो मुखर्जी कहते हैं कि “सोनू दा की बात बिल्कुल सच है, म्यूजिक इंडस्ट्री में उन सिंगरस को पहले प्राथमिकता दी जाती है जिनका बड़े लेबल्स के साथ में कॉन्ट्रैक्ट साइन किया गया हो तो कई बार ऐसा होता है कि निर्देशक और कम्पोज़र अगर चाहें भी तो कभी उन टैलेंटेड सिंगरस को मौका दे नहीं पाते जो इन लेबल्स द्वारा साइन नहीं किए गए होते हैं और मजबूरी में हमें आवाज पसंद होने के बाद भी उन को हटाना पड़ता है, हम कंपोजर्स हैं और कर भी क्या सकते हैं”।
“गेरुआ” और “साड़ी के फॉल से” फेमस सिंगर अंतरा मित्रा कहती हैं कि “हां, संगीत की दुनिया में म्यूजिक माफिया का बोलबाला है, मुझे गुटबाजी, नेपोटिज्म के प्रोडक्ट से तब तक कोई दिक्कत नहीं है जब तक कि वह प्रतिभाशाली हो, लेकिन मुझे यह बात परेशान करती है कि उस में प्रतिभा की कमी होती है और म्यूजिक माफिया के कारण उन्हें मौका दिया जाता है यहां तो एक गाने को तीन चार लोगों से गवाए जाने का चलन है लेकिन कम से कम हमें बताओ तो कि हमें इस गाने से रिप्लेस किया जा रहा है ताकि हम मानसिक तौर पर तैयार रहे डिप्रेशन में चले ना जाएँ, और मैं तो यहां इंडियन आईडल 2 जैसे रिअलिटी शोज से आई हूँ तो मुझे यहां रेसिजम भी खूब झेलना पड़ा”।
“तुनक तुनक” और” रंग दे बसंती “जैसे कई सुपरहिट गाने गाने वाले दलेर मेहंदी ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि” फिल्म झूम बराबर झूम के समय निर्देशक शाद अली ने मुझसे गाना गवाने की इच्छा जाहिर की, इस गाने को शंकर एहसान लॉय ने कंपोज किया था, गाना सभी को पसंद आया मगर बाद में जब फिल्म रिलीज हुई तो ना मेरा नाम था ना ही गाना, उस घटना से मुझे सदमा लगा और मैं बाॅलीवुड से बहुत दूर हो गया”।
“जजमेंटल है क्या” के “पा परा परा पा” गाने से म्यूजिक इंडस्ट्री में आए अरूण देव यादव कहते हैं कि 300 ,400 से स्क्रैचेज गाने के बाद मुझे “जजमेंटल है क्या” मिली थी। हम जैसे नए सिंगर को बड़े सिंगर के गाने की रिकॉर्डिंग से पहले स्क्रैचेज के रूप में गाने गाने पड़ते हैं यह म्यूजिक इंडस्ट्री का एक प्रोसीजर है, मेरे स्क्रैचेस को जुबिन नौटियाल और जावेद अली जैसे सिंगरस के गा चुके हैं। हमारी म्यूजिक इंडस्ट्री में म्यूजिक लेबल्स म्यूजिक डायरेक्टर और बड़े सिंगरस का दखल होता ही है और अगर आपको यहां अपना नाम बनाना है तो इनसे होकर गुजरना ही पड़ेगा”।