21 जून को आषाण अमावस्या पर लगने वाला कंकणाकृति खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 900 साल बाद लग रहा है. यह ग्रहण रविवार को लग रहा है इसलिए इसे चूणामणि ग्रहण कहा जा रहा है. यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है. इससे पहले 5 जून को चंद्र ग्रहण लग चुका है. धार्मिक दृष्टि से यह सूर्य ग्रहण काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के कुछ दिन बाद पड़ रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि एक ही महीने में दो ग्रहण लगने की स्थिति सही नहीं है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले से ही शुरू हो जाएगा.
ग्रहण और सूतक काल का समय
सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले लग जाएगा. सूतक काल 20 जून की रात 10 बजे से शुरू हो जाएगा. सूर्य ग्रहण का मध्य 12 बजकर 24 मिनट दोपहर पर होगा. ग्रहण का मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा. भारतीय मानक समयानुसार, सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और शाम 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. पूर्ण ग्रहण को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर देखा जा सकेगा.
क्यों होता है तुलसी का इस्तेमाल
तुलसी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी को प्रतिदिन दर्शन करने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इसकी पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. ग्रहण को अशुभकाल माना जाता है. कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर बुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है इसलिए ग्रहणकाल के समय तुलसी का प्रयोग घर की शुद्धि करने में मदद की जाती है. वहीं, मान्यता है कि तुलसी होने से ग्रहण के बाद आई सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी दोषों का नाश करने वाली होती है, इसलिए नेगेटिव ऊर्जा खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
नहाने की बाल्टी में रखें तुलसी का पत्ता
तुलसी के पत्तों को घर के नहाने के पानी वाली टंकी में या बाल्टी में डाल दें. ग्रहण खत्म होने के बाद परिवार के सभी लोग इस पानी से ही नहाएं. कहते हैं कि ऐसा करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है.
तुलसी में पारा होता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी में पारा होता है और तुलसी में अन्य कई औषधीय गुण भी होते हैं. तुलसी सेहत के लिए भी वरदान मानी गई है. तुलसी में कई बीमारियों से लड़ने के गुण बताए गए हैं. दरअसल पारा के ऊपर किसी भी तरह की किरणों का कोई असर नहीं होता है. ग्रहण के समय पैराबैंगनि किरणें निकलती है जो सेहत के लिए हानिकारक होती हैं. पारे के गुण के कारण खाने में तुलसी के पत्ते रखने से वह निष्क्रिय हो जाती हैं.
खाने-पीने की चीजों में रखें तुलसी
ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता रख देने से उस पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रहण के सूतक शुरू होने से पहले लोगों को खाने-पीने की चीजों में खासकर अचार, मुरब्बा, दूध, दही और अन्य खाद्य पदार्थों में तुलसी का पत्ता रख देना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से खाने की चीजों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता है. चंद्रग्रहण के बाद घर में तुलसी के पत्ते से पूजा, व्रत, यज्ञ, जप और हवन करने के समान पुण्य प्राप्त होता है.
ग्रहण के समय वातावरण में घातक कीटाणु
सूर्य ग्रहण के बाद तुलसी रखे पानी से घर के सभी लोगों को नहाना चाहिए. इससे घर में लक्ष्मी का निवास होता है. परिवार में सुख-संपत्ति और शांति का वास होता है. पौराणिक शास्त्रों में ग्रहणकाल में भोजन करने से भी मना किया गया है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय वातावरण में घातक कीटाणु तेजी से फैलते हैं और ये कीटाणु खाने-पीने की वस्तुओं और पानी में इकट्ठा होकर उसे दूषित कर देते हैं, ऐसे में भोजन और जल के पात्रों में क़ुश अथवा तुलसी डालने से कीटाणु समाप्त हो जाते हैं.
पेट की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है
सूर्यग्रहण के समय तुलसी के प्रयोग करने के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक तर्क भी बताए गए हैं. मान्यता है कि ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और फिर इस दौरान ग्रहण किया गया भोजन अपच, बदहजमी जैसी कई शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचा सकता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण के समय भोजन में मनुष्य जितनी संख्या में अन्न के दाने खाता है, उतने ही सालों तक नरक में यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. इसलिए भोजन में तुलसी डालने से उसमें से सब तरह की अशुद्धियां दूर हो जाती है और बाद में वह भोजन खराब नहीं होता है |
मणिराम दास जी महराज
श्री राम कथा श्रीमद् भागवत कथा एवं श्रीमद् प्रेम रामायण महाकाव्य जी की कथा के सरस वक्ता
श्री सिद्धि सदन परमार्थ सेवा संस्थान एवं ज्योतिष परामर्श केंद्र श्री धाम अयोध्या जी
6394614812/961654428
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