अक्सर यह सोच कर,
हैरान हो जाती हूँ कि
एक महामारी ने
जिंदगी का नजरिया बदल दिया.
अब ना मॉल है
ना सिनेमा हॉल है
ना कहीं बाहर घूमने जाते हैं,
घर में रहते हैं
फैमिली के साथ
और करने को कितनी
सारी बातें हैं.
यूट्यूब पर देखकर रेसिपी
अब भैया और पापा भी
किचन में हाथ आज़माते हैं,
कैरम और लूडो
जैसे खेल में जीत कर ,
अब दादी और मम्मी भी मुस्कुराते हैं.
दोस्तों के साथ
सोशल मीडिया पर करने को
ढेर सारी चैटिंग है,
बच्चों के साथ खेलते और
करते बहुत सारी मस्ती हैं.
करोना से पहले जिंदगी में
सब कुछ हुआ करता था
पर दिल से सोचो,
क्या फैमिली के साथ
बिताया ऐसा कभी
सुबह और शाम था,
इस करोना ने ही समझाया,
पिंजरे में बंद जानवर भी
आजादी के लिए
ऐसे ही रोते हैं.
घर में कैद अब हम
फैमिली के साथ
आओ हर पल को जी लेते हैं.
जब ऐ महामारी ख़त्म हो जाएगी
मैं सच कहती हूं ,
फैमिली वाली यह घड़ियां
फिर ना आएंगी
कितना भी करोगे खुद से वादा
पर जिंदगी की आपाधापी में
इस कदर व्यस्त हो जाओगे
कि इन पलों को सिर्फ
यादों में ही पाओगे….
Super se bhi uper 👌👌👌👌👌
शानदार अभिव्यक्ति ! वर्तमान समय के संदर्भ मे आपने कविता के रूप मे शानदार प्रस्तुति दी है।बहुत सुन्दर ।