कोरोना संकटकाल किसी के लिए आपदा तो किसी के लिए आपदा में भी लाभ का अवसर साबित हो रहा है। कई व्यापर बंद हैं तो कइयों के काम बढ़ गए हैं। जैसे जीवनावश्यक वस्तुओं का व्यापर करने वाले राशन की दुकान, फल भाजी की दुकान दवाइयों की दुकान इत्यादि का कारोबार कोरोना संकटकाल में भी शुरू है। वही दूसरी ओर अन्य व्यापर भारत में २ – ३ महीने से बंद है।
राशन, सब्जियां और दैनिक प्रयोग की वस्तुएं तो प्रामाणिक तौर पर ही बिक रही हैं पर इसी बीच स्नैक्स भी पीछे नहीं रहा। लॉकडाउन के बीच तो इन्सटेंट नूडल्स मैगी के लिए जमकर मारामारी रही। कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले के दौर की तुलना में इस बीमारी के आने और इसके बाद लॉकडाउन के दौर में मैगी की बिक्री में 25 फीसदी की भारी बढ़त हुई है।
क्यों बढ़ी बिक्री
असल में खाने-पीने के चीज़े, होटल-रेस्टोरेंट सभी बंद होने की वजह से बहुत से लोगों के लिए मैगी तत्काल नाश्ते का एकमात्र विकल्प बच गया था। बहुत से दुकानदारों ने तो 1.68 किलोग्राम वाले पैक का भंडारण कर लिया क्योंकि छोटे पैकेट मिलने में काफी मुश्किल आ रही थी। इस बड़े पैक में 24 मैगी नूडल्स केक होते हैं। लॉकडाउन के बीच उपभोक्ताओं ने भी स्टॉक खत्म होने के डर से इसका जमकर भंडारण करना शुरू कर दिया।
बिस्किट भी हुए पॉपुलर
गौरतलब है कि न केवल मैगी बल्कि खाने-पीने की अन्य सुविधाजनक वस्तुएं जैसे बिस्किट आदि की भी लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड तोड़ बिक्री हुई है। पारले प्रोडक्ट ने भी हाल में कहा कि उसकी बाजार में हिस्सेदारी 5 फीसदी बढ़ गई है। यही नहीं, ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, बोरबन, मारी, मिल्क बिकीज और पारले का मोनको, हाइड ऐंड सीक, क्रैकजैक जैसे ब्रांड की बिक्री भी जमकर हुई है। पारले-जी की बिक्री तो पिछले आठ दशकों में सबसे ज्यादा रही है।