गाय के एंटीबॉडी से बनेगी कोरोना वैक्सीन, अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा |

कोरोना के वैश्विक संक्रमण को खत्म करने के लिए वैक्सीन को लेकर दुनिया भर में तमाम प्रकार के शोध पर कार्य चल रहा है। चीन के वुहान शहर से फैले इस कोरोना वायरस को लेकर पहले कहा गया कि ये वायरस वुहान के एनीमल मार्केट से निकल कर इंसानों तक पहुंचा है. इस जानकारी के पश्चात अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इसी पर शोध करना शुरू किया और भारत के योग दर्शन एवं विज्ञान का सहारा लेते हुए गाय के माध्यम से इसका हल खोज निकाला। जी हां हम बात कर रहे हैं हाल ही में अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के लिए गाय पर शोध एवं दावों के बारे में…

हाल ही में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि गाय के शरीर के एंटीबॉडीज का उपयोग कोरोना वायरस को खत्म करने में किया जा सकता है. अमेरिकी बायेटेक कंपनी सैब बायोथेराप्यूटिक्स ने कहा है कि जेनेटिकली मॉडीफाइड गायों के शरीर से एंटीबॉडी निकाल कर उनसे कोरोना वायरस को खत्म करने की दवा बनाई जा सकती है. कंपनी जल्द ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली है. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में संक्रामक बीमारियों के फिजिशियन अमेश अदाल्जा ने कहा कि यह दावा बेहद सकारात्मक, भरोसा देने वाला और आशाजनक है. हमें कोरोना वायरस को हराने के लिए ऐसे विभिन्न हथियारों की जरूरत पड़ेगी.

गायों के खुरों में एंटीबॉडीज को डेवलप कर कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा

आमतौर पर वैज्ञानिक एंटीबॉडीज की जांच पड़ताल प्रयोगशालाओं में कल्चर की गईं कोशिकाओं या फिर तंबाकू के पौधे पर करते हैं. लेकिन बायोथेराप्यूटिक्स 20 साल से गायों के खुरों में एंटीबॉडीज को डेवलप कर रही है. कंपनी गायों में जेनेटिक बदलाव करती है. ताकि उनके इम्यून सेल्स (प्रतिरोधक कोशिकाएं) और ज्यादा विकसित हो सकें. खतरनाक बीमारियों से लड़ सकें. साथ ही ये गाय ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडीज बनाती हैं जिनका उपयोग इंसानों को ठीक करने में किया जा सकता है.पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट विलियम क्लिमस्त्रा ने कहा कि इस कंपनी के गायों की एंटीबॉडीज में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म करने की ताकत है. गाय अपने आप में एक बायोरिएक्टर है. वह भयानक से भयानक बीमारियों से टकराने के लिए भारी मात्रा में एंटीबॉडीज बनाती है. और जल्दी हम इससे वैक्सीन तैयार करेंगे.

गाय में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म करने की क्षमता

सैब बायोथेराप्यूटिक्स के सीईओ एडी सुलिवन ने बताया कि गायों के पास अन्य छोटे जीवों की तुलना में ज्यादा खून होता है. इसलिए उनके शरीर में एंटीबॉडीज भी बहुत ज्यादा बनते हैं. जिन्हें बाद में सुधार कर इंसानों में उपयोग किया जा सकता है. एडी ने बताया कि दुनिया की ज्यादातर कंपनियां कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने में लगे हैं. जबकि गायों के साथ अच्छी बात ये है कि ये पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी (Polyclonal antibody,) बनाती हैं. ये किसी भी वायरस को खत्म करने के मामले में किसी भी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से ज्यादा सक्षम होते हैं.एडी सुलिवन ने कहा कि जब मिडिल ईस्ट रेस्पोरेटरी सिंड्रोम (MERS) आया था, तभी हमने यह रास्ता चुना था. वहीं से हमें पता चला कि गाय के एंटीबॉडी में बाकी जीवों के एंटीबॉडी की तुलना में ज्यादा ताकत होती है.
सुलिवन ने कहा कि 7 हफ्ते के अंदर गाय के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार हो रही हैं. इस दौरान गाय बहुत ज्यादा बीमार भी नहीं हो रही है. जांच करने पर पता चला कि गाय के शरीर में बन रहे एंटीबॉडी ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को खत्म कर दिया.

इंसानी प्लाज्मा थैरेपी यानी कोवैलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी से चार गुना ज्यादा ताकतवर गाय द्वारा तैयार एंटीबॉडी

गाय के प्लाज्मा को लैब में जांचा गया तो पता चला कि यह इंसानी प्लाज्मा थैरेपी यानी कोवैलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी से चार गुना ज्यादा ताकतवर है. यह कोरोना वायरस को इंसान के शरीर की कोशिकाओं में घुसने ही नहीं देता.
एडी ने बताया कि कुछ ही हफ्तों में गाय की एंटीबॉडी का इंसानी क्लीनिकल ट्रायल शुरू करेंगे. ताकि यह पता कर सकें कि यह इंसानों में कितना कारगर है. हमें उम्मीद है कि गाय के खून से निकाली गई एंटीबॉडी बाकी अन्य दवाओं और इलाज से बेहतर होगा.
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आपको यह जरूर आभास हुआ होगा कि भारतीय संस्कृति की सबसे पुरानी विरासत योग, दर्शन एवं विज्ञान में पूर्वजों द्वारा बताए गए हल आधुनिक काल में और भी अधिक प्रासंगिक हो गए है। हमें उन्हें आत्मसात करने की आवश्यकता है।

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