मामाला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है जहां हिंदू धर्म में पूजनीय सीता माता पर मुस्लिम समुदाय के व्यत्ति ने अपमानजनक फेसबुक पोस्ट करा गया था। जिस पर सवाल उठाने पर मुस्लिम समुदाय के लड़को की भीड़ ने आरएसएस के एक निर्दोष युवा कार्यकर्ता हत्या कर दी। जबकि स्थानीय प्रशासन ने दावा किया कि बकरी चराने के मुद्दे पर दो समुदायों के बीच झड़प के कारण मौत हुई है। जबकि स्थानीय लोगों का दावा है कि मुस्लिम गुट ने पूर्व नियोजित योजना के अंतर्गत आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या की है। स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खंडवा जिले के हापला और दीपाला गांव के दो समुदायों के बीच 18 मई को झड़प हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के 10 से अधिक व्यक्ति घायल हुए थे और बाद में अस्पताल में भर्ती हुए थे, दीपाला, मुस्लिम जाति के कुछ लोगों के कारण आतंक से प्रभावित इलाका है।
बताया जा रहा है कि घायलों में 28 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता राजेश फूलमाली, उनकी बहन शीला फूलमाली और उनके दोस्त पवन सोलंकी शामिल थे। घायल होने के पश्चात राजेश फूलमाली को इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, क्योंकि उन्हें सिर में गंभीर चोटें आई थीं। जबकि उनकी बहन को खंडवा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो सप्ताह तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने के पश्चात आरएसएस कार्यकर्ता राजेश फूलमाली ने 31 मई को अस्पताल में दम तोड़ दिया। उनका शव 1 जून को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक आवास देशी खंडवा लाया गया।
राजेश फूलमली के बड़े भाई मनोज फूलमाली का आरोप है कि हमला सुनियोजित था। मनोज फूलमाली ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह पूर्व सुनियोजित हमला था। झड़प 22 अप्रैल को शुरू हुई, जब एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति ने फेसबुक पर सीता माता पर अपमानजनक पोस्ट लिखा। हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने पोस्ट के खिलाफ अपना गुस्सा दिखाया। बाद में, कुछ स्थानीय लोगों के अनुरोध पर, मेरा भाई 29 अप्रैल को शिकायत दर्ज करने के लिए रामनगर पुलिस चौकी गया। पुलिस ने शुरू में शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया, लेकिन जब प्रशासन स्तर से दबाव बनाया गया तो पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस ने इस मामले में 4-5 मुस्लिम युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया लेकिन जल्द ही उन्हें रिहा कर दिया। जब पुलिस ने मुस्लिम युवको को रिहा किया, तो उन्होंने मेरे भाई को मारने की धमकी दी। जिस दिन पुलिस ने उन्हें छोड़ा, वे मेरे भाई को पागलों की तरह तलाश कर रहे थे। 18 मई को, मुस्लिम युवकों के एक समूह ने मेरे भाई को घर से जाते समय पकड़ लिया और उसे बुरी तरह पीटा। उन्होंने मेरी बहन शीला के साथ गाली गलौज की और अभद्र व्यवहार किया। हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दो सप्ताह तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने के पश्चात मेरे भाई ने अस्पताल में दम तोड़ दिया है।
पुलिस की निष्क्रियता और संलिप्तता से हुई राजेश की हत्या
इस पूरे मामले को गंभीरता से अवलोकन करने के पश्चात ही नजर आता है कि पुलिस की निष्क्रियता ने एक बेगुनाह की जान ले ली। राजेश फूलमाली के बड़े भाई ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि रामनगर चौकी के सब-इंस्पेक्टर पीसी शिंदे की लापरवाही के कारण मेरे भाई की मौत हो गई। उनके द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
हत्या के प्रयास जैसे गंभीर धाराओं में नहीं दर्ज हुआ मुकदमा, पुलिस की भूमिका संदिग्ध
इस पूरे मामले में स्थानीय पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह से लीपापोती करने की कोशिश की है।
पुलिस ने सरफराज, सलमान, शब्बीर, अरमान, शाकिर, आसिफ, अब्दुल, अमीन, बरकत, वहीद, रहमान, वहीद, सोनू, सादिक, इरशाद, परवेश, यूसुफ और सात अन्य लोगों के खिलाफ राजेश फूलमाली और उसके परिवार पर हमला करने के लिए मामला दर्ज किया है, किन्तु चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि पुलिस ने यह मामला हत्या के आरोप में दर्ज नहीं किया है।
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घटना के सिलसिले में 20 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया है और उनमें से कुछ आरोपियों को ही गिरफ्तार कर पाई है, शेष आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस शिथिलता बरतती नजर आई, मामला तूल पकड़ने पर रामनगर पुलिस चौकी के सब-इंस्पेक्टर प्रभारी को मामले में ढिलाई के लिए जिला पुलिस लाइन से अटैच कर दिया गया।