सारा गुलशन उजड़ा उजड़ा, फूल कहाँ अब खिलते हैं
सारी महफ़िल सूनी सूनी, अब ऑनलाइन ही मिलते हैं !!
गले लगाना हाथ मिलाना, लगता जैसे एक सपना है
कैसे ये मालूम चलेगा, कौन पराया कौन अपना है !!
किसको चूमें, किसे गले लगाएं नहीं समझ ये आता है
दोस्त-यार सब सब दूर हो गए, टूट रहा सब नाता है !!
नेता भाषण पेल रहे है, हम सब उनको झेल रहे हैं
जनता फिरती मारी मारी, राजनीति वह खेल रहें हैं !!
नेताओं को अभिशप्त करो प्रभु, इनको भी कोरोना दे दो
ये असली पीड़ा तब समझेंगे, थोड़ा सुख हमको भी दे दो !!
कैसे जीवन सरल बनेगा, नहीं दिख रही कोई युक्ति
इस विपदा को दूर करो प्रभु, कोरोना से दे दो मुक्ति !!
अनिल श्रीवास्तव