बिहार में तेज़ी से बढ़ते कोरोना मामलो के बीच राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। सरकार के मुताबिक 1 जून 2020 के बाद लौटने वाले प्रवासियों का ना तो रजिस्ट्रेशन होगा और ना ही उन्हे क्वारंटीन की सरकारी सुविधा दी जाएगी। जो लोग सोमवार यानि 1 जून तक प्रदेश में वापसी कर चुके हैं, सिर्फ उन्ही का रजिस्ट्रेशन किया गया है।
आपको बता दें कि प्रदेश में अब तक लौटे प्रवासियों को तक़रीबन 5 हज़ार से ज़्यादा क़्वारीन्टीन सेंटर में रखा गया हैं। बिहार लौटने वाले प्रवासियों की संख्या तक़रीबन 13 लाख बताई जा रही है। हैरान करने वाली बात तो ये कि 15 जून तक ये सभी क्वारंटीन सेंटर बंद हो जाएंगे। ऐसे में तब तक इनमें क़्वरिन्टीन किये गये प्रवासियों के 14 दिन एकांतवास की अवधि पूरी हो जाएगी।
इतना ही नही, रेलवे स्टेशनों पर चल रही थर्मल स्क्रीनिंग को भी रोकने की योजना है। लेकिन इन सबसे परे हर रेलवे स्टेशन पर मेडिकल फेसिलिटी उपलब्ध रहेगी ताकि जरूरत के वक़्त इलाज़ में आसानी हो।
गौरतलब है कि बिहार में कोरोना के मामले 4 हज़ार के आकड़े को पार कर चुके है। इन मरीज़ों में 2700 से ज़्यादा वो प्रवासी हैं जो 3 मई के बाद यानि हाल फिलहाल में प्रदेश लौटे हैं। आपको बता दें कि महाराष्ट्र से लौटे मजदूरों में से 677 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है।
इसके अलावा दिल्ली से लौटे 628 लोगों में, गुजरात से लौटे 405 प्रवासी और हरियाणा से लौटे 237 लोगों के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इन सबके अलावा बाकी के राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों से लौटे प्रवासियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले सामने आए।
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लेकिन राज्य सरकार का ये फैसला इसलिए भी हैरान करता है कि ये निर्णय उस वक़्त लिया जा रहा जब अलग अलग राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासियों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ रही। ऐसे में बड़े सवाल भी खड़े होते हैं कि क्या बिहार सरकार अब प्रवासियों को बेसहारा छोड़ने के मूड में है?