प्राइवेट हॉस्पिटल में हो मुफ्त में COVID-19 का इलाज़…! SC ने मांगी केंद्र की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए देश भर के ऐसे निजी अस्पतालों की लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया है जो मुफ्त में उपचार करें या फिर मामूली चार्ज वसूल करें।

निजी अस्पतालों के पहलू पर वकील सचिन जैन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पताल COViD-19 से पीड़ित रोगियों से उच्च दर वसूल कर रहे है। चूंकि मरीज कहीं और नहीं जा सकते हैं, ऐसे में वो इन हॉस्पिटल की मनमानी फीस भरने के लिए विवश हो रहे हैं।

वकील सचिन जैन ने याचिका में ये भी कहा है कि जब राष्ट्र महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में सभी निजी अस्पताल जो सार्वजनिक भूमि पर चल रहे हैं अर्थात जिन अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन आवंटित हुई है जोकि ‘चैरिटेबलइंस्टीट्यूट’ की श्रेणी में चल रहे हैं, उन अस्पतालों में COVID-19 के मरीजों को फ्री पब्लिको (फ्री ऑफ कॉस्ट) या बिना लाभ के आधार पर अस्पताल में भर्ती कराने और इलाज कराने के लिए बुलाया जाना चाहिए।

सचिन ने न्यायालय को यह भी बताया कि बहुसंख्यक नागरिक निजी अस्पतालों में इलाज का अधिक खर्च नहीं उठा सकते। और कई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अंतर्गत नहीं आते हैं।

सचिन जैन ने तर्क दिया कि सरकार के स्वामित्व वाले अस्पतालों के संसाधन संकट को देखते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि अकेले सरकार अथवा सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र, गिरावट का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, और इसलिए, निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की व्यापक भागीदारी की आवश्यकता होगी।

वर्तमान में, निजी अस्पताल COVID-19 के उपचार के लिए भर्ती रोगियों से कोई भी शुल्क लेने के लिए स्वतंत्र हैं। याचिका में कहा गया कि रियायतें, अस्पताल के बिस्तर और बुनियादी उपचार के संबंध में दी जा सकती है, जबकि सर्जिकल ऑपरेशन या प्रक्रियाओं को मुफ्त या रियायती उपचार के दायरे से बाहर रखा जा सकता है।

न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय की पीठ ने भी याचिका के तथ्यों को तर्कसंगत माना है। और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को केंद्र से निर्देश लेने और एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। पीठ ने मेहता से कहा है कि इन अस्पतालों को मुफ्त में या रियायती दरों पर जमीन दी गई है, ऐसे में इन अस्पतालों को मरीजों का मुफ्त में इलाज करना चाहिए।

मेहता ने न्यायालय को सूचित किया कि इस प्रकार के निर्णय कुछ पॉलिसी के अन्तर्गत आते हैं। इसलिए ऐसे फैसले सरकार पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए। हालांकि, मेहता केंद्र सरकार से निर्देश लेने के लिए तैयार हैं। और एक सप्ताह के भीतर न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई चिंता का जवाब देंगे।

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