वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के. एस. भदौरिया ने बुधवार को सुलूर वायुसेना स्टेशन में एक सिंगल-सीटर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस को उड़ाया। अधिकारियों ने कहा कि तेजस जेट को विकसित करने वाली टीम के साथ काम करने वाले एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने उस विमान को उड़ाया है जो IAF के 45 स्क्वाड्रन का हिस्सा है।
वायु सेना प्रमुख वायुसेना के 18 स्क्वाड्रन के संचालन के लिए सुलूर में थे। जिसे ‘फ्लाइंग बुलेट’ के रूप में कोड किया गया है। तेजस विमान को उड़ाने वाला यह भारतीय वायु सेना का दूसरा स्क्वाड्रन होगा।
तेजस को एडीए (Aeronautical Development Agency) और एचएएल (Hindustan Aeronautical Ltd.) ने विकसित किया गया है। जेट का जीवनकाल किसी भी अन्य फ्रंट-लाइन लड़ाकू विमान की तरह न्यूनतम 30 वर्ष होगा।
लड़ाकू जेट विमानों को उनकी क्षमता और हथियार प्रणालियों के आधार पर विभिन्न पीढ़ियों के तहत वर्गीकृत किया जाता है। भारतीय वायुसेना के साथ लड़ाकू जेट के वर्तमान बेड़े में IAF 3.5 पीढ़ी से फोर्थ पीढ़ी तक की है।
भारतीय वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस के लिए एक ऑर्डर दे रखा है। और संभावना है कि लगभग 38 हजार करोड़ रुपये की लागत से 83 विमानों की डील HAL के साथ बहुत जल्द करेगा।
हल्के लड़ाकू विमानों में तेजस का एक नौसैनिक संस्करण, विकास के चरण में है।